हर साल बढ़ रही बेरोजगारी फिर भी व्यवसायिक शिक्षा से सोशल डिस्टेंस
सीकर. देशभर में हर साल बेरोजगारी का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल में दो बार राजस्थान में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर भी बढ़ी। एक तरफ सरकार की ओर से हर साल बेरोजगारों को भत्ता दिया जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ खुद रोजगार की राहें तलाशने वाले प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा का फायदा नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के 71 हजार 500 स्कूलों में से महज 1924 स्कूलों में ही व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम संचालित है।
इस हिसाब से प्रदेश के महज तीन फीसदी स्कूलों के विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा का फायदा मिल पा रहा है। जबकि अभी भी 97 फीसदी यूथ को व्यावसायिकशिक्षा नहीं मिल पा रही है। पत्रिका ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि सरकारी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा के शिक्षक नहीं होने की वजह से व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
व्यावसायिक शिक्षामें फिलहाल यह पाठ्यक्रम
प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में फिलहाल व्यावसायिक शिक्षा में 15 ट्रेड के पाठ्यक्रम संचालित है। शिक्षा विभाग के अनुसार, औद्योगिक प्रशिक्षण, व्यूटी केयर, हेल्थकेयर, इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड हार्डवेयर, होम डेकोर, रिटेल, कृषि, ट्यूरिज्म, टेलीकॉम, प्लम्बर, गार्ड, बैकिंग सर्विस व फूड प्रोसेसिंग पाठ्यक्रम शामिल है।
नए पाठ्यक्रम शुरूहो तो खुले कॅरियरकी राहें
बदलते दौर में कॅरियर की राहें भी बदल गई है। विद्यार्थियों का कहना है कि सरकार को नई ट्रेड के पाठ्यक्रम भी शुरू करने चाहिए, जिससे आसानी से रोजगार मिल सकता है। विद्यार्थियों ने आशुलिपि हिन्दी-अंग्रेजी, मोबाइल-एसी रिपेयरिंग, कम्प्यूर जॉब वर्क सहित अन्य पाठ्यक्रमों की मांग की है।
एक्सपर्ट व्यू
शिक्षा से रोजगार की राहें भी खुलनी चाहिए। शिक्षा विभाग के पास व्यावसायिक ट्रेड के शिक्षक नहीं है। इस वजह से प्रदेश के काफी कम स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम संचालित है। सरकार को स्थायी तौर पर हर स्कूल में आवश्यकता के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा के लिए शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए। दस साल में सरकारों की ओर से कई बार दावे भी किए जा चुके है। लेकिन प्रदेश के विद्यार्थियों को अभी तक राहत नहीं मिली है।- विपिन शर्मा, प्रदेश महामंत्री, कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत
किस राज्य में कितने शिक्षित बेरोजगार
राजस्थान 50 लाख
हिमाचल 2.55 लाख
बिहार 38.84 लाख
झारखंड 18.19 लाख
हरियाणा 24.30 लाख
पंजाब 8.10 लाख
उत्तरप्रदेश 28.41 लाख
छत्तीसगढ़ 2.85 लाख
दिल्ली 7.26 लाख
महाराष्ट्र 19.12 लाख
मध्यप्रदेश 6.27 लाख
गुजरात 4.92 लाख
(बेरोजगार संगठन व सीएमआइई की रिपोर्ट के अनुसार)
1. स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा नहीं
प्रदेश के महज तीन फीसदी सरकारी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा है। ज्यादातर निजी क्षेत्र के स्कूलों ने भी इस दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ाए है। नई शिक्षा नीति के हिसाब से व्यावसायिक शिक्षा मिले तो बेरोजगारी की रफ्तार को कम किया जा सकता है।
2. स्किल सेंटरों निजी क्षेत्र में
राज्य व केन्द्र सरकार की ओर से फिलहाल शिक्षित बेरोजगारों को निजी क्षेत्र के स्किल प्रशिक्षण केन्द्रों के जरिए ही प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। बेरोजगारों के प्लेसमेंट पर ही इनको अनुदान राशि मिलती है। इसलिए युवाओं का जुड़ाव नहीं हो पा रहा है। बेरोजगारों की ओर सरकारी क्षेत्र में भी प्रशिक्षण केन्द्र शुरू करने की मांग लंबे समय से गूंज रही है।
3. लगातार आउट होते प्रश्न पत्र
पिछले दस साल में 15 से अधिक भर्तियों के प्रश्न पत्र आऊट हो चुके है। पिछले चार साल में भी पांच बड़ी भर्तियों के प्रश्न पत्र आउट होने से युवाओं में आक्रोश भी है। इस वजह से भी बेरोजगारी की रफ्तार बढ़ी है।
अजमेर 84
अलवर 56
बांसवाड़ा 143
बांरा 56
बाड़मेर 103
भरतपुर 44
भीलवाड़ा 62
बीकानेर 70
बूंदूी 38
चित्तौडगढ़ 31
चूरू 24
दौसा 50
धौलपुर 50
डूंगरपुर 159
हनुमानगढ़ 52
जयपुर 80
जैसलमेर 27
जालौर 66
झालावाड़ 44
झुंझुनूं 24
जोधपुर 49
करौली 58
कोटा 31
नागौर 30
पाली 40
प्रतापगढ़ 44
राजसंमद 39
श्रीगंगानगर 52
सवाईमाधोपुर 61
सीकर 37
सिरोही 70
टोंक 35
उदयपुर 115
रिक्त पदों की वजह से ज्यादातर स्कूलों में व्यवस्था नहीं

0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें