यूपी के तीन BSA: लखीमपुर खीरी, बरेली और प्रयागराज को मिलेगा राष्ट्रीय पुरस्कार
उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी जनपद बरेली और जनपद प्रयागराज के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिल्ली में 23 मार्च को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के द्वारा सम्मानित किया जाएगा। तीनों जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यह सम्मान बेसिक शिक्षा में नवोन्मेषी कार्यों के लिए दिया जाएगा। Department of basic education ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडिल से ट्वीट करते हुए जानकारी दी गई कि नवोन्मेषी कार्यों हेतु प्रदेश के तीन BSA @KheriBsa @BsaPrayagraj तथा @BareillyBsa को 23 मार्च को नई दिल्ली में मा0 केन्द्रीय शिक्षामंत्री श्री @dpradhanbjp जी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
BSA Lakhimpur Kheri : डॉ. लक्ष्मीकांत पाण्डेय को यह राष्ट्रीय पुरस्कार विभाग की ई-मैगज़ीन शुरू करने के लिए दिया जाएगा। बता दें कि बीएसए खीरी द्वारा शून्य निवेश मैगजीन का पहला प्रवेशांक जून में आया। इस मैगजीन में शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव , जिलाधिकारी और सीडीओ के संदेश भी हैं।
BSA Prayagraj : जनपद प्रयागराज के बीएसए ने एक नवाचार किया जिसके लिए उनकी प्रशंसा हुई। बीएसए प्रयागराज प्रवीण कुमार तिवारी को यह राष्ट्रीय पुरस्कार जनपद के 2853 बेसिक स्कूलों में पुरातन छात्र संगठन शुरू करने के लिए दिया जा रहा है।
BSA Bareilly : वहीं बरेली के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय कुमार को यह पुरस्कार कोविड-19 के समय, “बरेली का हुनर” प्रतियोगिता कराकर 19 हजार छात्र-छात्राओं को एक मंच पर लाने हेतु दिया जा रहा है।
इसके अलावा कौड़िहार के खंड शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश मिश्र को भी दिल्ली में 23 मार्च को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। खंड शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश को यह सम्मान स्कूलों में कक्षा तीन से आठ तक छात्र हस्ताक्षर पंजिका (शिक्षक उपस्थिति पंजिका की तरह) की व्यवस्था लागू करने जैसे नवाचार पर दिया जाएगा।
खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा लागू किए गए इस नवाचार के बाद कक्षाओं में बच्चों का ठहराव बढ़ा और उनमें आत्मविश्वास जगाने में मदद मिली। नवाचार के अनुसार बच्चे द्वारा हस्ताक्षर पंजिका पर तब हस्ताक्षर किए जाते हैं जब वह अपनी कक्षा को छोड़ते हैं। यह नवाचार बच्चों के अंदर अभ्यास जिम्मेदारी के साथ उपस्थिति बढ़ाने में सहायक बना। बीईओ द्वारा नवाचार की शुरुआत सितंबर 2021 से शुरू हुई। इस नवाचार को कौड़िहार के 214 स्कूलों में लागू किया गया जिसमें 26000 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग।

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