गरीबी-बेरोजागारी की वजह देश की आर्थिक नीतियां : प्रो. अरुण
प्रयागराज। भारत में गरीबी और बेरोजगारी की समस्या देश में लागू आर्थिक नीतियों के कारण है, इसलिए इन नीतियों के बदले बिना गरीबी और बेरोजगारी की समस्या से निपटा नहीं जा सकता और न ही देश की अर्थव्यवस्था का तीव्र विकास किया जा सकता है। यह बातें सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं जेएनयू के रिटायर प्रो. अरुण कुमार ने कही। वह शनिवार को स्वराज विद्यापीठ में वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था: अडानी प्रकरण का असर विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
प्रो. अरुण ने आगे कहा कि नव उदारवादी आर्थिक नीतियों को सरकारें बहुत तेजी से आगे बढ़ा रही हैं, साथ ही देश की लगभग सारी विकास योजनाओं को कॉरपोरेट को सौंप रही हैं। सरकार ऐसी नीतियां बना रही है और ऐसे फैसले ले रही है कि देश की ज्यादातर परिसंपत्तियां, उद्योग औद्योगिक घरानों के हवाले होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का 94% हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है। इसके बारे में कोई खास ध्यान नहीं दिया गया है। कृषि इसी सेक्टर का हिस्सा है। गरीबी और बेरोजगारी मिटाने के लिए हमें इस पर विशेष ध्यान देना होगा। अध्यक्षता कर रहे नरेश सहगल ने कहा कि हम आर्थिक संप्रभुता की ओर बढ़ रहे हैं। हमें एक ऐसा अभियान चलाना होगा जिसके तहत हम आर्थिक समानता ला सकें। इस अवसर पर रविकिरण जैन, विनय सिन्हा, सीवी चतुर्वेदी, प्रो. वल्लभ, प्रो. आरसी त्रिपाठी, श्रीप्रकाश मिश्र, डॉ.आरपी सिंह, डॉ आशीष मित्तल, अविनाश मिश्र, विनोद तिवारी आदि मौजूद रहे।
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