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बुधवार, 21 जून 2023

बाल गोपाल योजना: प्रदेश में 77.20 लाख किलो मिल्क पाउडर की सप्लाई, आनकानी कर रहे स्कूल प्रधान, एमडीएम ने चेताया- ले लो, वरना कार्रवाई



 बाल गोपाल योजना: प्रदेश में 77.20 लाख किलो मिल्क पाउडर की सप्लाई, आनकानी कर रहे स्कूल प्रधान, एमडीएम ने चेताया- ले लो, वरना कार्रवाई


नए सत्र से सरकार बाल गोपाल योजना के तहत आठवीं तक के स्कूलों में बच्चों को पाउडर वाला दूध पिलाने की तैयारी में है। इसके लिए मिड डे मील आयुक्तालय के आदेश पर राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने 77 लाख 20 हजार 425 किलो मिल्क पाउडर की सप्लाई भी शुरू कर दी है, लेकिन प्रदेश के कई उच्च प्राथमिक विद्यालय इसे लेने से इनकार कर रहे हैं। फेडरेशन की शिकायत पर आयुक्तालय ने चेताया है कि जो भी संस्था प्रधान दूध पाउडर नहीं लेगा, उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।


इसे लेकर मिड डे मील के अतिरिक्त आयुक्त रामस्वरूप मीणा ने गत 5 जून को सभी डीईओ-मुख्यालय (प्रारंभिक) को पत्र जारी कर सीबीईओ को हिदायत देने को कहा है। स्कूलों में 1 जुलाई से नया सत्र भी शुरू हो रहा है। इसलिए डेयरी फेडरेशन को भी जुलाई, अगस्त व सितंबर की सप्लाई के लिए ऑर्डर दे दिया है।बता दें, उदयपुर में आठवीं तक के 2980 सरकारी स्कूलों में 36 हजार 690, जबकि प्रदेश में 64 लाख 44 हजार 779 बच्चे हैं। इनमें 1 हजार से ज्यादा संस्कृत स्कूलों के बच्चे भी हैं। उदयपुर में जुलाई से सितंबर तक बच्चे 4 लाख 39 हजार 230 किलो पाउडर का दूध पीएंगे। पाउडर की दर सरकार ने प्रति किलो 421 रुपए तय की है। यानी 18 करोड़ 49 लाख 15 हजार 830 रुपए का दूध बच्चे पीएंगे।


गुरुजी के गले नहीं उतर रही व्यवस्था, क्योंकि पाउडर से दूध बनाकर पिलाने में मेहनत और समय ज्यादा

मिड डे मील के पास ऐसी कोई सीधी शिकायत नहीं है कि संस्था प्रधान मिल्क पाउडर नहीं लेंगे। डेयरी फैडरेशन ने भी उच्चाधिकारियों को मौखिक रूप से ही बताया है कि कई संस्था प्रधान पाउडर लेने से इनकार और बहानेबाजी कर रहे हैं कि आज नहीं लेंगे, बाद में सप्लाई करना। अधिकारियों ने फिलहाल विरोध को गर्मी की छुट्टियों से जोड़ा है, क्योंकि बच्चे नहीं आ रहे।लेकिन सूत्रों का कहना है कि पाउडर से दूध बनाकर पिलाने की प्रक्रिया में समय और श्रम ज्यादा लगना है, इसलिए यह व्यवस्था संस्था प्रधान और शिक्षकों के गले नहीं उतर रही। हालांकि सरकारी मामला होने के कारण अभी खुलकर कोई नहीं बोल रहा।बताया गया कि पहले दूध आता था, जो सीधे ही तय नाप के अनुसार बच्चों को लाइन में खड़ा कर पिला दिया जाता था। अब पाउडर आने से दिक्कत ये होगी कि हर बच्चे के लिए माप के अनुसार पाउडर से दूध बनाना, गर्म करना, ठंडा करना और पिलाना पड़ेगा। इसमें एक घंटे से ज्यादा समय लगना तय है।


बच्चों के लिए दूध बनाने का कक्षावार पैमाना

  • कक्षा 1 से 5 तक रू 15 ग्राम पाउडर से 150 एमएल दूध तैयार करना और उसमें 8.4 ग्राम चीनी मिलाना।
  • छठी से 8वीं तक रू 20 ग्राम पाउडर से 200 एमएल दूध तैयार कर 10.2 ग्राम चीनी मिलाना।


परेशानी रू हर स्कूल में औसत 100 से ज्यादा बच्चे होते हैं। इनमें पांचवीं तक करीब 60 तक होते हैं। ऐसे में इन सबके लिए पानी गरम कर पाउडर मिलाना और दूध तैयार करने में मेहनत ज्यादा लगेगी।मिल्क पाउडर को लेकर प्रदेश में कहीं कोई विरोध नहीं है। इन गर्मी की छुट्टियों में पाउडर सप्लाई को लेकर इश्यू था। फैडरेशन ने बताया कि कई संस्था प्रधान दूध नहीं ले रहे और बाद में आने को कह रहे हैं। इसलिए सभी को पाउडर की सप्लाई लेने के आदेश जारी किए हैं।-राम स्वरूप मीणा, अति. आयुक्त, मीड डे मील


ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे शुद्ध दूध पीने के आदी हैं। इन्हें पाउडर का दूध पसंद नहीं है और पीते भी नहीं हैं। विभाग आंकड़ों के मायाजाल में सूचनाएं भेजता है। सरकार को सफल क्रियान्विति नजर आ रही है, लेकिन तैयार दूध देने वाली पहले की व्यवस्था ही ठीक थी।-लालसिंह चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष शिक्षक संघ प्राथमिक और माध्यमिक





बाल गोपाल योजना: प्रदेश में 77.20 लाख किलो मिल्क पाउडर की सप्लाई, आनकानी कर रहे स्कूल प्रधान, एमडीएम ने चेताया- ले लो, वरना कार्रवाई Rating: 4.5 Diposkan Oleh: UP BASIC NEWS

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