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शुक्रवार, 9 जून 2023

बच्चों को रटकर नहीं दिखाकर सिखाएगी नई शिक्षा नीति



 बच्चों को रटकर नहीं दिखाकर सिखाएगी नई शिक्षा नीति

 जयपुर। कई बार मजाक में कहा जाता है कि 'हिस्ट्री- ज्योग्राफी बेवफा, रात को पढ़ो दिन को सफा ।' कुछ ऐसा ही आलम स्कूली शिक्षा में भी रहा है, जहां बच्चों को शिशु अवस्था से ही गिनती, बारहखड़ी, ककहरा रटने से ही सिखाया जाता है। लेकिन अब नई शिक्षा नीति- 2020 में छोटे बच्चों कोरटकर याद कराने के बजाए दिखाकर याद कराया जाएगा ताकि वह देखकर चीजों को सीख सकें। वर्तमान शिक्षा नीति विद्यार्थियों में स्किल पैदा नहीं करती, वर्तमान शिक्षा का रोजगार से सीधा संबंध नहीं है। अब बच्चों को साधारण शिक्षा में ही स्किल की शिक्षा  देकर निपुण बनाया जाएगा। हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 1986 में समाज उपयोगी उत्पादक कार्य (एसयूपीडब्ल्यू) में बच्चों को कुछ नया सिखाने का प्रयोग शुरू हुआ था, लेकिन वह चलन में नहीं आ पाया। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2020 में नई शिक्षा नीति की घोषणा की है, लेकिन कोरोना के कारण नई शिक्षा नीति  वर्ष 2023 में पाठ्यक्रम में कक्षा दो तक लागू होगी।


शिक्षा समवर्ती सूची: संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची में शामिल होने से पाठ्यक्रम में बड़ा हिस्सा केन्द्र और थोड़े हिस्से में राज्य सरकार तैयार कराएगी। छोटी कक्षाओं में तीज त्यौहार, जलवायु, नायक, स्थानीय पर्व भी शामिल होंगे ताकि विद्यार्थी अपनी जड़ों से जुड़ सकें ।बच्चों को नई तकनीक से जोड़ेंगे: शिक्षा नीति छोटे बच्चों को टैक्नीक फ्रैंडली बनाने पर जोर देती है। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी टेबलेट, लेपटॉप और नेट के माध्यम से नवाचार कर सकें।


देशज भाषाओं में दी जाएगी शिक्षा: अब तक तृतीय भाषा के रूप में संस्कृत, पंजाबी, सिंधी सहित राज्य की अपनी भाषा लेने की विद्यार्थियों को सुविधा थी, लेकिन अब विद्यार्थी स्थानीय भाषा के माध्यम से शिक्षा ले पाएंगे। तमिलनाडु में वर्ष 2011 में 76% शिक्षा मातृभाषा में दी जाती थी, लेकिन वर्ष 2021 में 57% ही रह गई। कई शोध में यह सामने आया है कि बच्चा घर में बोले जाने है वाली भाषा में अधिक सीख सकता है।


नई शिक्षा नीति हमें देश के इतिहास, संस्कृति और जड़ों से जोड़ने का काम करेगी। हमें अपने 'स्व' का अहसास होगा, 'स्व' का जागरण मातृभाषा के बिना नहीं हो सकता। अब तक बच्चों को छोटी उम्र में ही रटना सिखाया जाता है, लेकिन  अब उसे रटने की बजाए देखकर सिखाने पद्धति विकसित होगी। बच्चे का सर्वागीण विकास हो सकें, इसके लिए उसमें स्किल को बढ़ावा दिया उसमें स्किल को बढ़ावा दिया गया।-शिव प्रसाद, क्षेत्र संगठन मंत्री, विद्याभारती, राजस्थान

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