शिक्षा के मंदिर जर्जरहाल: मूलभूत सुविधाएं तो दूर, राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपलडोज्या में आवश्यक कक्षा कक्ष तक नहीं ,बारिश हुई तो छुट्टी नहीं तो इधर अ से अनार, उधर दो दुनी चार
छोटी सरवा. राजकीय विद्यालयों में शैक्षिक संसाधन उपलब्ध कराने के सरकारी दावों का सच बांसवाड़ा जिले में देखा जा सकता है। जिले अंतिम छोर पर मध्य प्रदेश की सीमा से सटे कुशलगढ़ उपखंड के खेड़ाधरती घाटा क्षेत्र में शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों की स्थिति दयनीय है। बच्चों को पढ़ाई करने के लिए परेशानियों से दो-दो हाथ करने पड़ रहे हें। उपखंड की शोभावटी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपलडोज्या में पांच कक्षाएं संचालित होती हैं। कुल 39 बच्चे नामांकित हैं, किंतु स्कूल भवन के नाम पर छत तक नसीब नहीं है। बच्चे समीप ही स्थित खुले आसमान के नीचे देवरे के चबूतरे पर बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। एक साथ बैठकर पास-पास ही अलग-अलग विषय पढ़ाना मजबूरी बन है। ऐसे में एक तरफ हिन्दी तो पास ही अंग्रेजी व गणित का कालांश लगता है। इससे टीचर्स भी परेशान हैं। पर, जैसे-तैसे बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
दो कमरे, वह भी खंडहर
कहने को तो यहां विद्यालय भवन के दो कक्षाकक्ष हैं, किंतु खंडहर हो चुके हैं। छत में कई जगह बड़े-बड़े सुराख हो चुके हैं। छत के कभी भी गिरने का अंदेशा बना हुआ है। खस्ताहाल भवन के कारण बच्चों को इन कक्षों में बिठाने का जोखिम नहीं लेते हैं। कार्यवाहक संस्थाप्रधान मनीष मुनिया ने बताया कि संस्था प्रधान का पद रिक्त है। विद्यालय भवन खस्ताहाल होने सहित हालात की जानकारी ब्लॉक मुख्यालय को दी है। बारिश होते ही बच्चों की छुट्टी कर देने की मजबूरी बनी हुई है।

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