देश का पहला ऐसा एनएलयू, जहां 23 वर्ष से संविदा पर शिक्षक व कर्मचारी
जोधपुर. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर देश का पहला ऐसा राजकीय विश्वविद्यालय बन गया है, जहां वर्ष 1999 में स्थापना होने के 23 साल बाद भी 100 प्रतिशत शिक्षक व कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं। इनमें से एक भी शिक्षक व कर्मचारी को नियमित व स्थायी नहीं किया गया है। वर्तमान में 182 शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं। नए रेगुलेशन के अनुसार 50 प्रतिशत नियमित व 50 प्रतिशत संविदा कर्मचारी का प्रावधान है, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सिफारिशों के अनुसार केवल 10 प्रतिशत ही संविदा कर्मचारी हो सकते हैं।
पाठ्यक्रमों की घटी संख्या : एलएलयू में वर्ष 2001 से बीए एलएलबी, बीबीए एलएलबी, बीएससी एलएलबी के स्नातक तथा स्नातकोत्तर में एलएलएम सहित लगभग 15 पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे। लेकिन शैक्षणिक कर्मचारियों को नियमित नहीं करने पर 100 से ज्यादा शिक्षकों ने विवि छोड़ दिया। ऐसे में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विवि को स्नातक व स्नातकोत्तर के कई पाठ्यक्रमों को बंद करना पड़ा। वर्तमान में पाठ्यक्रमों की संख्या 15 से घटकर 5 रह गई है। साल 2001 में शुरू हुए बीएससी एलएलबी के नवीन पाठ्यक्रम को भी 15 वर्ष बाद वर्ष 2016 में बंद कर दिया गया। इसमें उत्तीर्ण विद्यार्थी बौद्धिक सम्पदा, साइबर अपराध व तकनीकी अपराधों से जुडे विधिक मामलों के क्षेत्र में देश-विदेश में कार्य कर रहे हैं। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से वर्ष 2012 में शुरू हुए बौद्धिक सम्पदा अधिकार शोध कार्य को वर्ष 2023 में बंद कर दिया। वहीं साइबर विधि तथा साइबर सुरक्षा के स्नातकोत्तर एलएलएम पाठ्यक्रम को वर्ष 2017 में बंद किया गया। जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत अन्य सभी विश्वविद्यालय कई नवीन पाठ्यक्रमों को शुरू कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी शिक्षकों व कर्मचारियों के संविदा पर होने से नाराजगी जताई है। कोर्ट ने एनएलयू के शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ये चिंता का विषय है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जो विधि शिक्षा का अग्रणी पंक्ति का विश्वविद्यालय है, केवल संविदा शिक्षकों पर संचालित हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि एनएलयू नियमित स्टाफ लाए, अन्यथा अगली सुनवाई में हम निर्णय करेंगे। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 31 अक्टूबर को दी हैं।

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