₹30 लाख की बर्बादी... वर्कबुक प्रिंट नहीं होने से स्कूलों ने फोटोकॉपी कराकर बांटी
नहीं होने से किस तरह लाखों रुपए की बर्बादी होती है, इसका बड़ा उदाहरण सामने आया है। स्कूलों में कक्षा 3 से 8 तक के बच्चों के लिए वर्कबुक प्रिंट होकर न आने से स्कूलों को अपने पैसों से फोटोकॉपियां कराकर काम चलाना पड़ा। इस पर अकेले जिले में करीब प्रदेश में करीब 60 लाख बच्चों के प्रथम टेस्ट भी खानापूर्ति की तरह हुए। अब विभाग प्रिंटेड वर्क बुक भेज रहा है।
30 लाख रुपए खर्च हो गए। पूरे शैक्षणिक सत्र जुलाई से शुरू हो गया था। जिले के 400 पीईईओ क्षेत्र के 1300 सरकारी स्कूलों में वर्क बुक सत्रारंभ में पहुंचनी थी। विभाग समय पर प्रिंट नहीं करा पाया इसलिए निदेशालय ने सभी स्कूलों को फोटो कॉपी कराने के आदेश दे दिए। सितंबर तक के कोर्स की कक्षा तीसरी के 37 चौथी व पांचवीं के 52-52, 6 और 7 में 45, 8वीं में 43 पेज फोटो कॉपी करानी पड़ी। हर स्कूल को औसतन 5 से 10 हजार रुपए खर्च करने पड़े।
कई स्कूलों ने बजट की कमी से एक-एक प्रति कराकर बोर्ड पर लिखवाकर भी काम चलाया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली बार वर्क बुक कोर्स शुरू किया गया। क्लास 3 से 8 तक अंग्रेजी, हिन्दी और गणित और एक, दो के लिए ए ग्रेड वर्क बुक है। वर्कबुक में वर्तमान क्लास के साथ गत 2 क्लास की पठन सामग्री ली जाती है। हर सप्ताह रेगुलर क्लास की बुक्स के साथ वर्कबुक की पढ़ाई के लिए भी क्लासेस होती हैं। जुलाई में वर्क बुक नहीं पहुंचने से प्रदेश के 5 60 लाख विद्यार्थियों को बिना तैयारी आरकेएसएमबीके टेस्ट देने पड़े खानापूर्ति के लिए दो दिन पहले लिंक भेजकर टेस्ट शुरू कर दिए ।
उच्च स्तरीय निर्देशों के अनुसार वर्क बुक की फोटो प्रतियां कराने के निर्देश स्कूलों को दिए। अब वर्क बुक आ चुकी हैं। ब्लॉक मुख्यालयों पर भेजा जा रहा है।-प्रमोद दशोरा, एडीपीसी, समसा
इस प्रकार स्कूलों ने चलाया काम
केस 1... रामउमावि नारेला पीईईओ क्षेत्र के पांचों स्कूलों में तीसरी से आठवीं तक फोटो प्रतियां कराने पर करीब 19 हजार रुपए खर्च हुए अब पता चला है कि वर्क बुक छपकर आने वाली हैं।
केस 2... राउमावि लांगच पीईईओ क्षेत्र के दो स्कूल हैं। आनलाइन ई-कटेंट की फोटो प्रति कराने के निर्देश पर करीब 6-7 हजार रुपए खर्च हुए।
केस 3. राउमावि भोईखेड़ा में कक्षा तीन से आठवीं तक फोटो प्रतियां कराने पर 7-8 हजार रुपए खर्च हुए।
उद्देश्य सरकार ने कोरोनाकाल के बाद 10 जुलाई 2022 से कक्षा एक से आठ में विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर की जांच के लिए (आरकेएसएमबीके) राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम योजना लागू की। ताकि यह तय हो सके कि जिस कक्षा में बच्चे पढ़ रहे हैं, वे उस स्तर के हैं या नहीं। वर्क बुक में अतिरिक्त शिक्षण करवाया जाता है।

0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें