प्रवेशोत्सव का रंग पड़ा फीका, 9 फीसदी घटा नामांकन ,हर कक्षा में कम हुए बच्चे, पिछले साल की तुलना में 15 हजार घटे
बूंदी.सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव के ढोल तो खूब बजे, नामांकन बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास किए गए,लेकिन हर कक्षा में बच्चे कम हो गए। कोरोना काल में बढ़ोतरी के बाद इस वर्ष सरकारी स्कूलों में करीब 9 फीसदी नामांकन घट गया। इसके पीछे कारण शिक्षकों की गैर सरकारी कार्यों में ड्यूटी को माना जा रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार 14 हजार 461 बच्चे कम हो गए।
जबकि तीन बार नामांकन बढ़ाने के लिए तिथि भी बढ़ी,लेकिन सरकारी व्यवस्थाओं के ढिल मुहैये रवैये के चलते सरकारी स्कूलों में नामांकन घट गया। सूत्रों के अनुसार गत वर्ष 2022-23 में 1232 स्कूलों का कुल नामांकन 1 लाख 75 हजार 267 था, जो इस बार वर्ष 2023-24 में 1 लाख 60 हजार 806 रह गया। यानी 9 प्रतिशत बच्चों की संख्या में कमी आई है। यहीं नहीं ग्यारहवीं व बारहवीं की कक्षा के छात्र-छात्रा तक पिछले साल के मुकाबले 3 हजार 409 बच्चे कम हो गए। ऐसे में सरकारी स्कूलों में 15 हजार बच्चों के कम होने से शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी तक सकते में हैं।
सबसे अहम कक्षा में फिसड्डी हुए साबित
सरकारी स्कूलों का प्रवेशोत्सव असल में यानी नामांकन बढऩे की सीढ़ी पहली से पांचवी कक्षा होती है, इस बार यहीं सारी कवायद सबसे अधिक कमजोर साबित हुई। पिछले साल की तुलना में करीब 10 हजार 684 बच्चे नामांकन कम रहे। पिछले साल में पहली से पांचवी कक्षा का कुल नामांकन 77 हजार 239 था, जो इस नए सत्र में 66 हजार 555 रह गया। नामांकन बढ़ाने की सबसे अहम कक्षा में ही सरकारी स्कूल फिसड्डी साबित हुए। इन कक्षाओं में नामांकन घटने को लेकर विभाग के अधिकारी भी चितिंत है।
निजी के भरे आंगन
कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में खूब नामांकन हुए,एकाएक निजी स्कूलों से छोडकऱ बच्चे सरकारी स्कूलों की ओर रुख दिख,लेकिन जैसे-जैसे स्थितियां कंट्रोल हुई वापस बच्चों का रुझान निजी की ओर बढ़ता गया। अभिभावक और बच्चे बताते है कि सरकारी स्कूलों की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है। व्यवस्था उनके मुताबित माकूल नहीं मिलती है
ऐसे में फेल हो जाते प्रवेशोत्सव
हर वर्ष प्रवेशोत्सव के नाम से शोर मचता है।तमाम शिक्षकों को इसमें लगाया भी जाता है, लेकिन छोटी कक्षाओं में सामान्यतया होने वाले प्रवेश के बजाय कोई अधिक बढ़ोत्तरी नहीं हो पाती। हालांकि इस वर्ष तो कई शिक्षकों की ड्यूटी गैर सरकारी कार्यों में लगाई गई। शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किए, लेकिन इसका असर कुछ नहीं हुआ,नतीजा सरकारी स्कूलों में नामांकन घट गया।
हर कक्षा में घटा नामांकन
सूत्रों के अनुसार आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले सत्र की तुलना में हर कक्षा में औसतन बच्चे कम हुए हैं। ग्यारहवीं-बारहवीं में जहां 3 हजार 409 बच्चे इस बार कम हैं तो नवीं-दसवीं में 9 हजार 427 बच्चों का नामांकन घट गया। वहीं कक्षा छठी से आठवीं तक के बच्चों में भी 1 हजार 644 बच्चे कम हुए है।
फैक्ट फाइल
वर्ष वर्ष
कक्षा 2022-23 2023-24
नर्सरी 177 245
एलकेजी 208 325
यूकेजी 54 301
कक्षा-1 13181 7886
कक्षा-2 16213 12970
कक्षा-3 15338 15459
कक्षा-4 16298 14618
कक्षा-5 16206 15622
कक्षा-6 15977 14902
कक्षा-7 15666 15493
कक्षा-8 15971 15575
कक्षा-9 15435 16847
कक्षा-10 11925 10986
कक्षा-11 10534 10644
कक्षा-12 12523 9004
कुल 175267 160806
नामांकन घटने के यह रहे कारण
- शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य।
- शिक्षकों के लिए नित नए आदेश व कार्य।
- नामांकन हेतु कमजोर प्रवेशोत्सव।
- कक्षा एक में जन्म तिथि 31 मार्च 2018 के बाद का प्रवेश नहीं होना।
इनका कहना
सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए गए,लेकिन गत वर्ष की तुलना में इस बार 9 फीसदी नामांकन घट गया है। सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी है।-राजेंद्र कुमार व्यास,जिला शिक्षा अधिकारी,बूंदी
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