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सोमवार, 11 सितंबर 2023

बच्चे नहीं पी रहे मिल्क पाउडर से बना दूध !,पाउडर मिल्क लेने से मना कर रहे स्कूलों पर विभाग की कार्यवाही की तलवार

 

बच्चे नहीं पी रहे मिल्क पाउडर से बना दूध !,पाउडर मिल्क लेने से मना कर रहे स्कूलों पर विभाग की कार्यवाही की तलवार

आईडाणा. राजकीय विद्यालयों में कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तहत पाउडर मिल्क दिया जा रहा है। इस योजना के तहत गत शिक्षा सत्र में सप्ताह में दो दिन दूध दिया जाता था। इस शिक्षा सत्र में सभी कार्यदिवस में पाउडर मिल्क दिया जा रहा है। लेकिन, विभाग को सूचना मिल रही थी कि कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक पाउडर मिल्क लेने से मना कर रहे हैं। इसे लेकर जिला दुग्ध संघों ने राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद को शिकायत भी दर्ज कराई है।


शिकायत में बताया गया कि जिला दुग्ध संघों तथा परिवहन कर्ताओं की ओर से पाउडर मिल्क की विद्यालयों में आपूर्ति करने जाते हैं तो संस्थाप्रधान आपूर्ति लेने से मना कर देते हैं। स्कूल परिषद के अतिरिक्त आयुक्त रामस्वरूप मीणा ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (प्रारंभिक) को पत्र भेजा है। पत्र में राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लि. जयपुर की ओर से इस संबंध में की गई शिकायत का जिक्र किया गया। साथ ही बताया गया कि यदि कोई विद्यालय आपूर्ति प्राप्त करने से मना करता है, तो संबंधित संस्था प्रधान के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी करने का आदेश दिया ताकि पाउडर मिल्क लेने से कोई मना नहीं कर सके।



काफी महंगा है, सरकार कर रही करोड़ों रुपए खर्च

सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए जा रहे मिल्क पाउडर के 1 किलो की रेट 400 रुपए है। जबकि, इस पाउडर से बना दूध बच्चे पीते ही नहीं है। कुछ जगह बच्चों को दबाव से गिलास में दूध तो दिया जाता, लेकिन वो दूध बच्चे नाली में डाल देते हैं। सरकार के करोड़ों रुपए खर्च होने पर भी बच्चों के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं हो रहा है।


मिल्क पाउडर से बने दूध को पीने से बच्चे करते हैं आनाकानी

गांवों में बच्चे गाय, भैंस या बकरी का ताजा दूध ही पीते हैं। कई बच्चे तो डेयरी के पैकेट बंद दूध को मुंह तक नहीं लगाते। ऐसे बच्चों को मिल्क पाउडर का दूध पिलाना शिक्षकों के लिए काफ़ी परेशानी भरा होता है। ऐसे में संस्थाप्रधान सप्लायर से मिल्क पाउडर पैकेट लेने से मना करते हैं, लेकिन विभाग कार्यवाही का भय दिखाकर मिल्क पाउडर पैकेट का वितरण करवा रहा है।


बाल गोपाल योजना के तहत मिड-डे मील से जुड़े प्रदेश के प्राइमरी विद्यालय, मदरसों एवं विशेष प्रशिक्षण केंद्रों पर राज्य सरकार की ओर से मिल्क पाउडर वाला दूध उपलब्ध करवाया जाता है। इसमें कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए 15 ग्राम पाउडर से 150 मिलीलीटर दूध तथा कक्षा छह से आठ के बच्चों के लिए 20 ग्राम पाउडर से 200 मिलीलीटर दूध उपलब्ध होता है। स्कूल में प्रार्थना सभा के बाद दूध पिलाया जाता है।


बच्चे नहीं पी रहे मिल्क पाउडर से बना दूध !,पाउडर मिल्क लेने से मना कर रहे स्कूलों पर विभाग की कार्यवाही की तलवार Rating: 4.5 Diposkan Oleh: UP BASIC NEWS

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