इमरजेंसी इलाज के लिए मना नहीं कर पाएंगे निजी अस्पताल, इसके लिए बनेगा इमरजेंसी फंड
जयपुर. राज्य के निजी अस्पताल अब इमरजेंसी इलाज के लिए राज्य के निवासी किसी भी घायल या मरीज को मना नहीं कर पाएंगे। विधानसभा में मंगलवार को पारित राइट टू हेल्थ बिल के मुताबिक यदि किसी अस्पताल ने इलाज से मना किया तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। निजी अस्पतालों में इमरजेंसी के लिए फंड बनेगा। मरीज इलाज के बाद फीस नहीं दे पाता हैं तो अस्पताल उस राशि को राज्य सरकार से ले सकेंगे। राज्य सरकार इसका खर्च उठाएगी।
मरीज की शिकायतें सुनने के लिए जिलों में जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण बनाया जाएगा। इसमें जनप्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है। प्राधिकरण 10 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक जुर्माना भी कर सकेंगे। लॉजिस्टिक शिकायतों के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण आमजन की समस्या निस्तारण का कार्य करेगा। उपचार एवं इस कानून के तहत तकनीकी सलाह के लिए स्टेट हैल्थ अॅथोरिटी फॉर ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का गठन किया गया है। इसमें एक सदस्य को छोड़कर विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हैं। जिला प्राधिकरण में जिला कलक्टर सहित चिकित्सक सम्मिलित हैं। प्राधिकरण के फैसले को किसी सिविल अदालत में चुनौती नहीं देने के प्रावधान को भी बरकरार रखा गया है।
सरकार के दावे
एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में इस प्रकार का स्वास्थ्य का अधिकार अपने नागरिकों को देने वाला राजस्थान पहला राज्य बना है यह एक प्रकार का प्रगतिशील कानून है जो स्वास्थ्य और कल्याण के अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
बिल के मुख्य प्रावधान
सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध स्वास्थ्य देखभाल स्तर के अनुरूप राज्य के प्रत्येक निवासी को सभी प्रकार की ओपीडी, आईपीडी सेवाएं, सलाह, दवाइयां, जांच, आपातकालीन परिवहन, प्र₹िया और सेवाएं, इमरजेंसी सेवाएं नि:शुल्क प्राप्त करने का अधिकार होगा।
सड़क दुर्घटना के घायल व्यक्तियों को नि:शुल्क परिवहन, इलाज और बीमा मिलेगा।
मरीज को रोग की प्रकृति, कारण, उसके लिए प्रस्तावित जांच, देखभाल, उसके उपचार के संभावित परिणामों, उसमें होने वाली संभावित जटिलताओं और उस पर आने वाले संभावित खर्चें के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा।
इमरजेंसी इलाज की यह होगी परिभाषाएं
सर्प दंश, जानवर के काटने और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से निर्धारित इमरजेंसी, सड़क, रेल, जल या वायु दुर्घटना शामिल
इमरजेंसी देखभाल में किसी दुर्घटना, आपराधिक घटना या किसी प्रकार की अन्य इमरजेंसी में घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार, सलाह और सहायता देना शामिल
इमरजेंसी प्रसूति देखभाल, गर्भावस्था व इसकी जटिलता से ग्रसित महिला का उपचार
प्राथमिक उपचार में दुर्घटना, क्रेश, आपराधिक घटना या किसी अन्य आपात स्थिति में घायल व्यक्ति को दिए जाने वाले निर्धारित उपचार से पूर्व उसकी स्थिति को बरकरार रखने के लिए इलाज व देखभाल शामिलकिसी घायल व्यक्ति को निर्धारित उपचार स्थल तक उसके लिए निर्धारित उपचार के लिए भेजने से पूर्व दिए जाने वाले ऐसे चिकित्सकीय उपचार जिससे उसकी स्थिति को स्थिर किया जा सके और उसके लिए निर्धारित इलाज से पूर्व उसको होने वाले किसी नुकसान को रोका जा सके।
विधिक (मेडिको-लीगल) मामले में कोई अस्पताल पुलिस अनापत्ति या पुलिस रिपोर्ट प्राप्ति के आधार पर राज्य के निवासी के उपचार में देरी नहीं कर सकता
ये भी मिले अधिकार:
- स्वास्थ्य देखभाल देने वाले व्यक्ति का नाम, उसकी प्रोफेशनल स्टेट्स और जॉब चार्ट के बारे में जान सकेंगे।
- पुरुष प्रेेक्टिशनर की ओर से किसी महिला रोगी के शारीरिक परीक्षण के दौरान अन्य महिला की उपस्थिति
- किसी अन्य चिकित्सा संस्थान में वैकल्पिक उपचार का चयन
- अस्पताल में उपलब्ध प्रत्येक प्रकार की सेवाओं और सुविधाओं का शुल्क जानना
- दवा प्राप्त करने या जांच करवाने का स्थान चयन करना
- किसी अन्य चिकित्सक या संस्थान से सेकंड ओपिनियन लेने के लिए उपचार रिकॉर्ड और सूचना प्राप्त करना
- चिकित्सक की सलाह के विरुद्ध यदि रोगी अस्पताल छोड़ता है तो उससे इलाज समरी प्राप्त करना

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