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मंगलवार, 28 मार्च 2023

Old Pension Scheme Latest Update: वित्त मंत्री की गठित कमेटी पर नहीं है कर्मियों को भरोसा, तेज होगा पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन



Old Pension Scheme Latest Update: वित्त मंत्री की गठित कमेटी पर नहीं है कर्मियों को भरोसा, तेज होगा पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन

Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन के मुद्दे पर केंद्रीय कर्मचारी संगठन, संघर्ष के मूड में हैं। गत सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने की घोषणा पर कर्मियों को भरोसा नहीं है। यह कमेटी एनपीएस में सुधार के लिए गठित की गई है। कमेटी यह भी पता लगाएगी कि केंद्रीय कर्मचारी, एनपीएस के साथ खुश हैं या नहीं।


ओपीएस बहाली के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा, हम एनपीएस में सुधार के लिए किसी भी समिति के गठन को अस्वीकार करते हैं। किसी भी कर्मचारी संगठन ने एनपीएस में सुधार की मांग नहीं की है। केंद्र या राज्य, सभी कर्मचारी संगठन 'ओपीएस' के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कर्मियों की एक ही मांग है, एनपीएस की समाप्ति और पुरानी पेंशन योजना की बहाली। अतीत में भी ऐसी कमेटियां गठित होती रही हैं। जब सरकार जानती है कि कर्मियों द्वारा हर महीने अपने वेतन का एनपीएस में 10 फीसदी योगदान देने के बावजूद उन्हें कुछ नहीं मिल रहा। कोई व्यक्ति महज दो चार हजार रुपये की मासिक पेंशन में कैसे गुजारा कर सकता है। 'एनपीएस' को किसी भी तरह से 'ओपीएस' के समकक्ष या उसके करीब भी नहीं माना जा सकता। आने वाले दिनों में एनपीएस के खिलाफ आंदोलन तेज होगा।



एनपीएस में सुधार की मांग नहीं की ...

केंद्रीय कर्मचारी संगठन, नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के तहत ओपीएस के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इस साल 21 जनवरी को दिल्ली में आयोजित एनजेसीए की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए थे। केंद्र सरकार को आठ माह का समय दिया गया है। अगर इस अवधि में पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो 19 सितंबर को भारत बंद किया जाएगा। इससे पहले छोटे-बड़े कई तरह के आंदोलन होंगे। यूनिट स्तर पर गेट मीटिंग करने का सिलसिला लगातार जारी रहेगा। सी. श्रीकुमार बताते हैं कि एनपीएस में सुधार के लिए सरकार को किसने मांग पत्र सौंपा है। एआईडीईएफ, रेलवे, दूर संचार, डाक व बैंकिंग सेक्टर सहित 400 से अधिक कर्मचारी यूनियनों ने एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए वित्त मंत्री व डीओपीटी मंत्री को अभ्यावेदन दिया है। एनपीएस समाप्त करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के हस्ताक्षर, भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत किए गए थे। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कर्मचारियों के किसी भी संगठन ने कभी भी एनपीएस में सुधार की मांग नहीं की है।


कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया

कई राज्य सरकारें पहले ही एनपीएस वापस ले चुकी हैं। केंद्र ने ऐसे राज्यों को चेतावनी दी है कि पीएफआरडीए के पास जमा कर्मियों का पैसा वापस नहीं किया जाएगा। रेलवे और रक्षा सहित केंद्र सरकार के विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए केंद्र सरकार ने 20 मार्च को यह चेतावनी जारी की है कि यदि वे एनपीएस के खिलाफ किसी भी आंदोलन में भाग लेते हैं तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार द्वारा, कर्मचारियों के विरोध-प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की कड़ी निंदा की है। बतौर श्रीकुमार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने कहा, कर्मचारियों के अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं कि सरकारी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव है। इस घोषणा से कोई भी कर्मचारी खुश नहीं है। सभी की एकमत राय है कि एनपीएस को वापस लिया जाए और ओपीएस को वापस बहाल किया जाए।


एनपीएस में मिल रही 4000 रुपये पेंशन

श्रीकुमार ने कहा, एनपीएस में किसी भी तरह का सुधार, कर्मचारियों के लिए मददगार नहीं होने वाला है। वजह, अब यह बात बिना किसी संदेह के साबित हो चुकी है कि एनपीएस में सरकार के 14 फीसदी के योगदान के बाद भी एनपीएस से मिलने वाली पेंशन 4000 रुपये से अधिक नहीं है। जो कर्मचारी, एनपीएस से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें लगभग इतनी ही पेंशन मिल रही है। इससे पहले भी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने पेंशन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। तब भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की थी। उस रिपोर्ट में क्या लिखा गया, सरकार के अलावा कोई नहीं जानता। सरकार, कर्मचारियों को अनावश्यक मानसिक प्रताड़ना दे रही है।


श्रीकुमार ने कहा, जिस दिन से युवा, सरकारी सेवा में आते हैं, उन्हें अपने बुढ़ापे की सुरक्षा की चिंता सताने लगती है। उनके वेतन से हर महीने 10 फीसदी राशि कटने के बावजूद जो पेंशन मिलती है, वह ओपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन के 50 फीसदी के आसपास भी नहीं है। जब तक एनपीएस को खत्म नहीं किया जाता और ओपीएस को बहाल नहीं किया जाता, तब तक कर्मचारी अपना संघर्ष और आंदोलन जारी रखेंगे। सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को राजकोष पर बोझ के रूप में नहीं माना जा सकता है, क्योंकि पेंशन कर्मचारियों की वृद्धावस्था सुरक्षा के लिए एक आस्थगित वेतन है।


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