स्कूलों में शिक्षकों के 1 लाख 26 हजार पद खाली
सीकर. नए सरकारी स्कूल खोलकर व पुराने स्कूलों को क्रमोन्नत या अंग्रेजी माध्यम में बदलकर शिक्षा का खाका सुधारने का दावा करने वाली सरकार की कड़वी हकीकत सामने आई है।प्रदेश की सरकारी स्कूलों में 1 लाख 26 हजार 906 पदों पर शिक्षक ही नहीं है। 64 हजार 860 स्कूलों के ये पद प्रधानाचार्य से लेकर तृतीय श्रेणी शिक्षकों तक के हैं। इनमें सबसे ज्यादा खाली पद तृतीय श्रेणी शिक्षकों के 53 हजार हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों के हालात किस कदर बद्तर है।
डीपीसी के साथ हो नई भर्ती, वरना तालाबंदी तैयार
सरकारी स्कूलों के हालात सुधारने के लिए वरिष्ठ अध्यापक व तृतीय श्रेणी शिक्षकों की डीपीसी व सभी सँवर्गों में नई भर्ती से रिक्त पदों की पूर्ति बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो नए सत्र में सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था गड़बड़ाने के साथ शिक्षकों की मांग को लेकर स्कूलों में तालाबंदी की घटनाओं की आशंका भी बढ़ेगी। सरकारी स्कूलों के नामांकन पर भी गलत असर पड़ेगा।
प्रदेश में खाली पद
प्रधानाचार्य 7291
उप प्रधानाचार्य 2121
व्याख्याता 27494 (नव पदसृजन)
वरिष्ठ अध्यापक 29000
तृतीय श्रेणी शिक्षक 53000
शारीरिक शिक्षक 8000
डीपीसी से बदलेंगे सिर्फ आंकड़े
शिक्षा विभाग ने वाइस प्रिंसिपल पद के लिए करीब 9998 व्याख्याताओं को व प्रधानाचार्य पद पर 1941वाइस प्रिंसिपल की पदोन्नति कर दी है। जिनकी काउंसलिंग मई महीने में होगी। ऐसे में खाली पदों के आंकड़ों में कुछ बदलाव जरूर होगा। पर नई भर्ती बिना खाली पदों की संख्या में कोई कमी आने की संभावना नहीं हैै।
इनका कहना है
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जो शिक्षक नियुक्त है उन्हें भी गैर शैक्षिक कार्यो में उलझाया जा रहा है। इससे सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ रही है। मौजूदा शिक्षकों से गैर शैक्षिक कार्य बंद करवाकर सरकार को शिक्षकों के सभी सँवर्गों में डीपीसी व नई भर्ती से पदों को भरना चाहिए। ताकि सरकारी स्कूलों के नामांकन व शिक्षा में सुधार हो।-उपेंद्र शर्मा,प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत।
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