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शनिवार, 8 अप्रैल 2023

भाजपा जीती तो ओल्ड पेंशन स्कीम रहेगी या बंद करेंगे?:किरोड़ी बोले- ‘कब मरेगी सासू, कब आएंगे आंसू’, ज्यादातर ने कहा- अभी नहीं बताएंगे



 भाजपा जीती तो ओल्ड पेंशन स्कीम रहेगी या बंद करेंगे?:किरोड़ी बोले- ‘कब मरेगी सासू, कब आएंगे आंसू’, ज्यादातर ने कहा- अभी नहीं बताएंगे

विधानसभा चुनाव में 8 महीने से भी कम समय बचा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए हर अवसर को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस ओल्ड पेंशन स्कीम, फ्री बिजली, 500 रुपए में गैस सिलेंडर जैसे पब्लिक कनेक्ट वाले फैसलों के जरिए माहौल बनाने की कोशिश कर रही है तो भाजपा प्रदेशभर में जनाक्रोश आंदोलन के जरिए पलटवार कर रही है कि तमाम घोषणाएं चुनावों को देखते हुए की गई हैं जिनके पूरा होने में संशय है।


घोषणाओं की बात करें तो 5.24 लाख कर्मचारियों के लिए लागू की गई ओल्ड पेंशन स्कीम(OPS) भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि राजस्थान में कर्मचारियों का बड़ा वर्ग है और ओपीएस स्कीम को लेकर ये वर्ग उत्साहित है।बड़े वोट बैंक पर असर डालने वाली यह स्कीम राजस्थान में लागू होने के बाद कई राज्यों में इसको लेकर हलचल है। छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल और पंजाब में भी ओपीएस लागू हो चुकी है। कर्नाटक में हो रहे चुनाव से पहले ओपीएस को लेकर कमेटी बनाई जा चुकी है। वहीं महाराष्ट्र में भी कर्मचारियों के आंदोलन के चलते कमेटी का गठन किया गया है।


चुनाव से पहले भाजपा में ओपीएस को लेकर असमंजस है, क्योंकि इस स्कीम की कोई बड़ी काट फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है।इसके अलावा राजस्थान भाजपा खुलकर इसके समर्थन में भी नहीं आ सकती, क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व ओल्ड पेंशन स्कीम को राज्यों के लिए घातक बता चुका है।केंद्र सरकार की ओर से साफ किया जा चुका है कि राज्यों को अपने स्तर पर इसके लिए बजट प्रावधान करने होंगे।एनपीएस का जो अंशदान जमा है उसके बारे में भी कहा जा चुका है कि यह अंशदान कर्मचारियों का है और इसे राज्यों को नहीं लौटाया जा सकता।

भाजपा नेता इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को विधानसभा से लेकर सड़क तक लगातार घेर रहे हैं लेकिन वे सीधे तौर पर कर्मचारियों को नाराज करने से बच रहे हैं।दैनिक भास्कर ने भाजपा के विधायकों से लेकर सांसदों, पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं से ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर बात की।भास्कर का सवाल सिर्फ एक था--क्या राजस्थान में भाजपा सरकार बनती है तो ओल्ड पेंशन स्कीम जारी रखी जाएगी या बंद कर दी जाएगी?


जानिए भाजपा के 16 नेताओं ने ओल्ड पेंशन स्कीम पर क्या कहा?


इतनी सारी घोषणाएं कर दीं, पूरी कैसे होंगी: संदीप शर्मा

शिकायत इस बात से है कि जिस तरह से कांग्रेस सरकार ने इतनी सारी घोषणाएं कर दीं, ये पूरी कैसे होंगी? भाजपा का रुख कर्मचारियों के प्रति हमेशा सकारात्मक रहा है। ओपीएस से कोई शिकायत नहीं है।- संदीप शर्मा, विधायक, कोटा


यह तो आगे की बात है : जोगेश्वर गर्ग

अब भाजपा सरकार आएगी तो इस पर पुनर्विचार होगा या नहीं, यह तो आगे की बात है। भाजपा की केंद्र सरकार पुरानी स्कीम और नई स्कीम का तुलनात्मक अध्ययन करेगी कि दोनों में से कौनसी स्कीम अच्छी है?-जोगेश्वर गर्ग, विधायक, भाजपा


मैं कर्मचारियों के साथ हूं, लागू रखेंगे : सिंघवी

ओपीएस के मामले में मैं तो कर्मचारियों के साथ हूं। अगर प्रदेश में भाजपा सरकार आती है और मैं उसका पार्ट रहा तो मैं ओपीएस जारी रखने की पैरवी करूंगा। यह स्कीम कर्मचारियों के हित में है।-प्रताप सिंह सिंघवी, विधायक


पार्टी से बात करके बताऊंगा : दिलावर

ओपीएस के बारे में पार्टी नेतृत्व से बात करके ही बताऊंगा।- मदन दिलावर, विधायक, भाजपा


मैं कुछ नहीं कह सकता: सुभाष पूनिया

इस मामले में मैं कुछ नहीं कह सकता। मैं तो पार्टी का एक छोटा सा सिपाही हूं। जैसा पार्टी चाहेगी वही होगा। ओपीएस को लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी डिसाइड करेगा, सोच समझकर करेगा।-सुभाष पूनिया, विधायक सूरजगढ़, भाजपा


ओपीएस से स्टेट का भट्‌टा बैठ जाएगा : राजवी

बीजेपी की सरकार आएगी तो ओल्ड पेंशन स्कीम का क्या होगा, यह बताने की स्थिति में तो मैं अभी नहीं हूं, लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम के नाम पर गहलोत सरकार ने कर्मचारियों को एक ऐसा झुन्झुना पकड़ा दिया कि वह कैलकुलेशन लगाना भी चाहेगा तो नहीं लगा पाएगा। ओपीएस से स्टेट का भट्‌ठा बैठ जाएगा।-नरपतसिंह राजवी, विधायक


पैसा कहां से लाएंगे : सराफ

सीएम गहलोत घोषणावीर मुख्यमंत्री हैं। इन्होंने जो घोषणा की है वो सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और कर्मचारियों को गुमराह करने के लिए की है। ओपीएस के लिए 40 हजार करोड़ रुपए चाहिए। इनके पास कोई वित्तीय प्रावधान नहीं है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने पहले ही मना कर दिया। पैसा कहां से लाएंगे? हम यदि ओपीएस को लागू करेंगे तो पहले वित्तीय प्रावधान करेंगे।– कालीचरण सराफ, विधायक


सरकार के पास इतना पैसा होगा तो विचार होगा: जोशी

हमारी सरकार आती है तो प्रदेश की जो आर्थिक स्थिति है, उसको देखते हुए राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को अच्छे साधन मिले, अच्छे बेनिफिट मिले, ऐसा काम करने की कोशिश करेंगे। जहां तक ओपीएस का सवाल है, यदि जीपीएफ अकाउंट इतने खुल जाएंगे और सरकार के पास इतना पैसा होगा तो आने वाली सरकार इस पर विचार करेगी।-पंकज जोशी, प्रदेश मीडिया प्रमुख, भाजपा


गहलोत सरकार के पास न प्लान है, न बजट है : लाहोटी

पेंशन की जो नई व्यवस्था लागू हुई थी, तब 2010 में केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार थी और राजस्थान में खुद गहलोत मुख्यमंत्री थे। इन दोनों ने ही साइन किए। इस नई व्यवस्था को लागू किया और आज कह रहे हैं यह स्कीम खराब है। बजट है नहीं, कोई प्लानिंग है नहीं, कर्मचारियों के खाते में पैसे कहां से जमा होंगे? गहलोत बार-बार केंद्र सरकार को दोष देने के बजाय 40 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था करके इस घोषणा को पूरी करें। - अशोक लाहोटी, विधायक, भाजपा


लागू रखना चाहिए: पुष्पेंद्र सिंह

कर्मचारी-अधिकारियों के हित को देखते हुए ओपीएस को आगे भी जारी रखना चाहिए। हमारी सरकार आएगी तो इसे लागू रखा जाएगा।-पुष्पेंद्र सिंह, विधायक


गहलोत कह रहे-सरकार रिपीट नहीं होगी तो भाजपा ओपीएस बंद कर देगी

सीएम अशोक गहलोत ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर बार--बार अपने बयानों में भाजपा को घेर रहे हैं। वे हर बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगर राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं होगी तो भाजपा ओपीएस को बंद कर देगी। यह कह कर वे कर्मचारियों के बीच यह माहौल बना रहे हैं कि अगर ओपीएस को लागू रखना है तो कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाएं। गहलोत की नजर में ओपीएस कांग्रेस के लिए तुरुप का पत्ता है। इसीलिए वे अपनी हर पब्लिक मीटिंग में ओपीएस के खिलाफ भाजपा की नीति को मुद्दा बना रहे हैं।


अब इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख जान लेते हैं…….

ओपीएस की घोषणा के बाद से ही राज्य और केंद्र के बीच एनपीएस फंड को लेकर खींचतान है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही स्पष्ट कह चुकी हैं कि पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) में जमा एनपीएस का पैसा राज्य सरकार को रेवेन्यू अकाउंट में वापस नहीं लौटाया जा सकता क्योंकि यह कर्मचारी का पैसा है।पिछले दिनों लोकसभा में एक सवाल के जवाब में भी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भगवत कराड कह चुके हैं कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकारों ने केंद्र सरकार और पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) को प्रस्ताव भेजा था कि NPS के तहत जमा राशि संबंधित राज्य सरकारों को लौटा दी जाए।इन राज्य सरकारों के प्रस्तावों पर PFRDA सूचित कर चुका है कि PFRDA Act, 2013 में ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है, जिसके तहत पहले से NPS के लिए केंद्र के पास जमा अंशदान को राज्य सरकारों के पास वापस किया जा सके।


20-22 करोड़ वोटर से जुड़ा है मुद्दा

राजस्थान सहित देश के सभी राज्यों में कर्मचारी वर्ग सबसे बड़ा मतदाता वर्ग माना जाता है। कर्मचारी अपनी कार्यप्रणाली, मौखिक प्रचार, सेवा प्रदान करने और अपने संगठनों के धरनों-प्रदर्शन के जरिए सरकारों के पक्ष या विपक्ष में माहौल बनाते रहे हैं।जब चुनाव होते हैं, तो किसी भी अन्य वोटर समुदाय की तुलना में उनका मतदान प्रतिशत हमेशा ज्यादा होता है। कर्मचारी मतदाताओं में से लगभग 95 प्रतिशत लोग वोट करते हैं। देश भर में इस वोटर समुदाय की संख्या लगभग 20-22 करोड़ (परिजनों सहित) मानी जाती है।


  • केन्द्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश भर में लगभग 4 करोड़ 70 लाख सरकारी कर्मचारी हैं।
  • अकेले राजस्थान में करीब 8 लाख कर्मचारी हैं।
  • मध्यप्रदेश में लगभग 9 लाख कर्मचारी हैं।
  • कर्नाटक में लगभग 10 लाख कर्मचारी हैं।
  • छत्तीसगढ़ में करीब 2 लाख कर्मचारी हैं।
  • सरकारी कर्मचारियों का सबसे बड़ा संगठन भारत में सेना है, जिसमें कार्मिकों की संख्या लगभग 14 लाख हैं। इसके बाद रेलवे है जहां करीब 12 लाख 54 हजार कार्मिक काम करते हैं और फिर पैरा मिलिट्री फोर्सेज (अर्द्ध सैन्य बल) हैं जहां लगभग 8 लाख 86 हजार कार्मिक कार्यरत हैं।
  • आम तौर पर कर्मचारियों के वोट बैंक को सरकारें व राजनीतिक पार्टियों बहुत गंभीरता से लेती हैं, राजनीतिक पार्टियां कर्मचारियों के साथ उनके परिजनों को भी उसी वर्ग में गिनती हैं।
  • दिल्ली में 100 से अधिक कर्मचारी संगठनों ने देश भर में ओपीएस लागू करने की मांग को लेकर 8 दिसंबर-2022 को प्रदर्शन भी किया था।

भाजपा जीती तो ओल्ड पेंशन स्कीम रहेगी या बंद करेंगे?:किरोड़ी बोले- ‘कब मरेगी सासू, कब आएंगे आंसू’, ज्यादातर ने कहा- अभी नहीं बताएंगे Rating: 4.5 Diposkan Oleh: UP BASIC NEWS

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