स्कूल व्याख्याता भर्ती:भौतिक और जीव विज्ञान में न्यूनतम अंक भी प्राप्त नहीं कर पाए कुछ कैटेगिरी के अभ्यर्थी
वरिष्ठ अध्यापक, स्कूल व्याख्याता भर्तियों में पहले माइनस में अंक प्राप्त करने वाले शिक्षक बन जाते थे, लेकिन सरकार की ओर से शिक्षा विभाग की भर्तियों में चयन के लिए न्यूनतम प्राप्तांक का क्राइटेरिया लागू होने से अब स्थिति बदल गई है। आरपीएससी की ओर से पिछले दिनों स्कूल व्याख्याता भर्ती में दो विषयों भौतिक विज्ञान व जीव विज्ञान का प्रारंभिक परिणाम जारी किया गया। इसमें इस भर्ती के दोनों पेपरों में अलग अलग न्यूनतम अंक प्राप्त करने वालों को ही दस्तावेज सत्यापन के लिए सूचीबद्ध किया गया।
कुछ कैटेगरी ऐसी भी थी, जिनमें अभ्यर्थी दोनों प्रश्न पत्रों में न्यूनतम अंक प्राप्त नहीं कर पाए। इसके चलते पद खाली रह गए। अभी तो और विषयों के परिणाम आने बाकी हैं। ऐसी ही स्थिति अन्य विषयों में रह सकती है। कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती में भी बड़ी संख्या में पद खाली रह गए थे। इसमें भी दोनों प्रश्न पत्रों में अलग-अलग 40-40 फीसदी अंक प्राप्त करना अनिवार्य था।
दोनों पेपर क्वालिफाय करने के लिए ये थे नियम
पहला पेपर जीके का 150 अंक और दूसरा पेपर संबंधित विषय का 300 अंकों का था। चयन के लिए दोनों पेपर में जनरल के छात्रों को अलग अलग 40-40% अंक लाने अनिवार्य थे। यानी पहले पेपर में 60 अंक और दूसरे पेपर में 120 अंक प्राप्त करने थे। एससी-एसटी को न्यूनतम प्राप्तांक में 5% की छूट थी। यानी इस कैटेगरी को पहले पेपर में 52.50 अंक और दूसरे पेपर में 105 अंक प्राप्त करने थे।
इस कैटेगरी में नहीं मिले योग्य अभ्यर्थी
न्यूनतम अंक प्राप्त नहीं करने के कारण दोनों विषयों में कई कैटेगरी में योग्य अभ्यर्थी ही नहीं मिले। इसमें भौतिक विज्ञान में सामान्य में विधवा, ईडब्ल्यूएस में विधवा, एससी में विधवा कैटेगरी, एमबीसी में विधवा, ओबीसी में विधवा, परित्यक्ता और एसटी में सभी 10 पदों पर एक भी योग्य अभ्यर्थी नहीं मिला। इसी तरह से जीव विज्ञान में ईडब्ल्यूएस में विधवा, एसटी में विधवा, ओबीसी में विधवा, परित्यक्ता कैटेगरी में भी योग्य अभ्यर्थी नहीं मिले।
शिक्षा विभाग की भर्तियों में प्रत्येक पेपर में न्यूनतम 40% अंक प्राप्त करने का क्राइटेरिया लागू किया गया था। इससे माइनस अंक वालों के चयन पर अंकुश लगा है। इससे ऐसे शिक्षकों का ही चयन होगा जिन्होंने संबंधित विषय का गहन अध्ययन किया है। -दीपेंद्र शर्मा, संयोजक शैक्षिक प्रकोष्ठ, विप्र फाउंडेशन

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