
शिक्षा के साथ स्कूल की बदली तस्वीर पहले थे महज 4 बच्चे, आज 125 के पार
सरदारशहर. हमारी धारणा रही है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है। सरकारी विद्यालय के अध्यापक पढ़ाई करने के बजाय खानापूर्ति करने में विश्वास रखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। अध्यापकों की मेहनत के चलते कई विद्यालय का कायाकल्प होने के साथ नामांकन भी बढ़ा है तथा बोर्ड के परिणाम भी शतप्रतिशत रहा है। कई अध्यापक ऐसे भी होते हैं जो कर्म करने में यकीन करते हैं और वो अध्यापक जहां भी जाते हैं व्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास करते हैं। इसी का उदाहरण है सरदारशहर से 16 किलोमीटर दूर गांव बन्धनाऊ का यह है। राजकीय संस्कृत उच्च प्राथमिक विद्यालय। इस विद्यालय में सन 2013 में महज 4 छात्रों का नामांकन था।
ऐसे में विद्यालय को बंद करने की नौबत आ गई थी। लेकिन उसी समय प्रधानाध्यापक के रूप में सत्यनारायण स्वामी की नियुक्ति की गई और तभी से इस विद्यालय की कायापलट शुरू हो गई। गरीब व दलित बस्ती में स्थित इस विद्यालय में 90 प्रतिशत बच्चे गरीब, मजदूर, दलित वर्ग के पढ़ते हैं। विद्यालय की ना सिर्फ तस्वीर बदली है बल्कि इस विद्यालय में 125 से ज्यादा छात्र छात्राओं का नामांकन है और यह सब हुआ है प्रधानाध्यापक सत्यनारायण स्वामी के प्रयासों से। गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक सत्यनारायण स्वामी की ओर से भामाशाह के सहयोग से 2 अध्यापकों की नियुक्ति विद्यालय में की गई है जो कि इन बच्चों को छुट्टियों के बावजूद विद्यालय में पढ़ा रहे हैं।
ग्रीष्मकालीन अवकाश में बच्चों को पढ़ा रहे
गांव के भंवरलाल मेघवाल ने बताया कि जयपुर के भामाशाह अर्जुन सिंह शेखावत के सहयोग से ओमप्रकाश मेघवाल व सुखाराम मेघवाल दो अध्यापकों को विद्यालय में लगा रखा है जो कि इन विद्यार्थियों को ग्रीष्मकालीन अवकाश में पढ़ा रहे हैं। एसएमसी के अध्यक्ष मांगीलाल मेघवाल ने बताया कि यह विद्यालय मेघवालों के मोहल्ले में है और कभी इस विद्यालय की किसी ने सुध नहीं ली, ऐसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक स्वामी के प्रयासों से इस विद्यालय में बच्चों का नामांकन बढ़ा है। एक भीम नवयुग मंडल नाम से संगठन बनाया ताकि ग्रामीणों अपने बच्चों को विद्यालय में भेजने के लिए प्रेरित कर विद्यालय में दाखिला करवा सकें।
घर-घर जाकर ग्रामीणों को शिक्षा का महत्व बताया ओर उनके बच्चों को विद्यालय में भेजने की अपील की। ग्रामीणों की मांग है कि इस विद्यालय को 10वी या 12वी तक किया जाए ताकि यहां पर पढऩे वाले बच्चे आगे बढ़ सके। प्रधानाध्यापक स्वामी ने विद्यालय में पेड़ पौधे लगाए इसके अलावा विद्यालय में अनेकों विकास के काम भामाशाहों के सहयोग से करवाएं, जिससे धीरे-धीरे विद्यालय की तस्वीर बदल गई। वर्तमान में विद्यालय में 400 से ज्यादा पौधे लहलहा रहे हैं। वहीं कई काम ग्रामीणों व आसपास के भामाशाहों के सहयोग से किए जा चुके हैं।
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