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सोमवार, 5 जून 2023

600 बच्चों पर मात्र पांच अध्यापक, फिर भी परिणाम शत-प्रतिशत



 600 बच्चों पर मात्र पांच अध्यापक, फिर भी परिणाम शत-प्रतिशत

अंग्रेजी, गणित, विज्ञान का अध्यापक नहीं फिर भी कक्षा 10 व 12 का शत- प्रतिशत परिणाम

पांचू. अक्सर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों व संसाधनों की कमी की खबरें अखबार में आती रहती है। लोगों की यही धारणा होती है कि वहां बहुत कम बच्चे पढ़ने जाते होंगे और पढ़ाई का स्तर भी अच्छा नहीं होगा। इन्हीं खबरों के बीच कई स्कूल ऐसे भी होते हैं जो दूसरी स्कूलों के लिए प्रेरणा का कार्य भी करते हैं।


हम बात कर रहे है शिक्षा मंत्री के गृह जिले बीकानेर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, पाँचू ढाणी की जो गांव से छह किलोमीटर दूर ढाणियों में स्थित है। जहाँ 600 बच्चे पढ़ते हैं। 12 कक्षाओं के बैठने के लिए केवल नौ कमरे हैं।सीनियर स्कूल होने के बावजूद एक भी व्याख्याता नहीं, संस्था प्रधान दो स्टाफ व मात्र 5 अध्यापक है। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के भी अध्यापक ही नहीं हैं। इन कमी के बावजूद इस स्कूल के शिक्षकों की लगन से स्कूल का रिजल्ट शत प्रतिशत रहा। विद्यालय के टॉपर विद्यार्थी खुमाराम ने 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।


शिक्षकों की लगन व डिजिटल लर्निंग का लाभ

इसी गांव के शिक्षक रामस्वरूप राड़ ने बताया कि जहां चाह है वहां राह। यह विद्यालय दो वर्ष में ही कक्षा 8 से 12 में क्रमोन्नत हो गया। इस कारण पूरे संसाधन नहीं थे। इस वर्ष कक्षा 12 का पहला बैच था जिसमे 40 विद्यार्थी थे। स्टाफ भी कम था। संस्था प्रधान व समस्त स्टाफ ने अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर कोर्स पूरा करवाया फिर तत्कालीन बीकानेर जिला कलेक्टर ने डिजिटल लर्निंग हेतु कार्यक्रम चलाया। जिसके तहत हमारी स्कूल को स्मार्ट टीवी मिला जिससे हमने विद्यार्थियों को निरन्तर अध्यापन करवाया जिसका लाभ प्राप्त हुआ।

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