महात्मा गांधी स्कूलों का मामला, नए शिक्षकों का वेतन पुराने स्कूलों से उठ रहा दिसंबर से स्कूलों में जबरदस्ती पढ़ा रहे हैं 746 शिक्षक, अधिशेष होने के बाद विभाग नहीं कर पाया समायोजन
अलवर। एक ओर स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। वहीं दूसरी और जिले के ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं जहां 746 शिक्षक जबरदस्ती पढ़ा रहे हैं। मतलब इन स्कूलों में ये शिक्षक अधिशेष हो चुके हैं और इनका पदस्थापन अभी तक शिक्षा विभाग नहीं कर पाया है। दरअसल शिक्षा विभाग ने दिसंबर माह में महात्मा गांधी स्कूलों में नए स्टाफ की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए थे। आदेश जारी होने के बाद शिक्षकों ने ज्वाइन भी कर लिया। इनमें लेवल प्रथम और द्वितीय दोनों के ही शिक्षक शामिल थे। नए शिक्षकों के ज्वाइन करने के साथ ही पुराने शिक्षक उन्हीं स्कूलों में अधिशेष हो गए और उन्हें अभी तक सात महीने से कहीं भी पोस्टिंग नहीं दी गई है।
पहले तो इन शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा के लिए एपीओ करते हुए रिलीव कर दिया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद ही आदेश जारी किए गए कि जब तक समायोजन प्रक्रिया पूरी नहीं कर ली जाती है तब तक ऐसे सभी शिक्षक जिन स्कूलों में हैं वहीं कार्यरत रहेंगे। अब हालात यह हो गए हैं कि ये शिक्षक मजबूरी में पढ़ाने मजबूर हैं क्योंकि इन्हें पता है कि जल्दी ही इन्हें किसी दूसरे स्कूल में जाना पड़ेगा।
ऐसे में बच्चों का व सरकार के राजस्व का दोनों का ही नुकसान हो रहा है, लेकिन निदेशालय से लेकर मंत्रालय तक कोई इस प्रकरण को गंभीरता से नहीं ले रहा है जबकि ऐसे कई स्कूल हैं जहां शिक्षकों की लगातार कमी बनी हुई है। जिन स्कूलों में नए शिक्षकों का पदस्थापन हुआ है वे सभी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम में तब्दील हो गए हैं और उन शिक्षकों का वेतन फिलहाल उनके पुराने स्कूल से ही उठ रहा है। यह सही है कि दिसंबर से शिक्षक अधिशेष हैं और उनका पदस्थापन नहीं हो पाया है। पदस्थापन आदेशों के लिए निदेशालय के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही आदेश मिलेंगे समायोजन कर दिया जाएगा। नेकीराम, डीईओ
चिंता : नए शिक्षकों से पहले पदस्थापन नहीं हुआ तो नुकसान
सरकार ने पिछले सात महीनों से स्कूलों में लगे हुए शिक्षकों का पदस्थापन नहीं किया है। ऐसे में अब पुराने शिक्षकों के साथ चिंता यह पैदा हो गई है कि लेवल प्रथम के शिक्षकों का दस्तावेज सत्यापन पूरा हो चुका है और सेकंड लेवल का सत्यापन चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि सभी को सितंबर तक ज्वाइनिंग मिल जाएगी। ऐसे में यदि नए शिक्षकों को ज्वाइनिंग पहले मिलती है तो पूर्व में अधिशेष रहे शिक्षक ठगे रह जाएंगे। सीनियर होते हुए भी उन्हें उन स्कूलों के अवसर नहीं मिलेंगे जहां पद रिक्त हैं। क्योंकि रिक्त पदों पर पोस्टिंग पहले ही हो जाएगी
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