राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में डालने की मांग क्यों सुप्रीम कोर्ट ने कर दी खारिज
राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि किसी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का काम नीतिगत मामला है, यह फैसला केवल सरकार ही कर सकती है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेपी पादरीवाला और मनोज मिश्रा ने एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मुद्दों पर सरकार को रिट जारी नहीं किया जा सकता है। बेंच ने कहा, 'राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जा रही है। सरकार के वकील की ओर से कन्हैयालाल सेठी केस में हमारे फैसले को रिकॉर्ड में रखा गया है। हम इस विचार से सहमत हैं और याचिका पर विचार से इनकार करते हैं।'
बेंच ने कहा कि कुछ और भाषाओं को शामिल करने की मांग की जात सकती है और यह कुछ ऐसा है जिसका जवाब केवल राजनीतिक कार्यपालिका दे सकती है। वकील रुपुदमन सिंह की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए बेंच ने यह बात कही। संविधान की 8वीं अनुसूची में आधिकारिक भाषाओं की सूची है।

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