तृतीय श्रेणी शिक्षकों में पदोन्नति व तबादले नहीं होने से आक्रोश
उदयपुर । प्रदेश में शिक्षा विभाग के अधीन सेवारत करीब तृतीय हजार तृतीय श्रेणी शिक्षक - पिछले तीन वर्ष से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। राज्य सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति रोक रखी है जिससे पदोन्नति से वंचित शिक्षकों में अब राज्य सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है।शिक्षक पारस जैन का कहना है कि सरकार ने तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी की पदोन्नति तीन साल से क्यों रोक रखी है, इसका कारण समझ से परे है। सरकार को नियमानुसार समय पर शिक्षकों को द्वितीय श्रेणी में पदोन्नत करना चाहिए। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले भी नहीं किए जा रहे हैं।इन्हें नियुक्ति के बाद सालों से एक ही जगह सेवा देते हो गए। टीएसपी से नॉन टीएसपी में स्थानांतरण चाहने वाले शिक्षकों को उनके गृह जिले में जाने का अवसर देना चाहिए।
लंबित प्रकरणों से भी प्रभावित शिक्षक
शिक्षक पुष्पेंद्र सिंह झाला का कहना है कि उदयपुर मंडल में संयुक्त निदेश कार्यालय तथा इसके अधीन समस्त जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में बकाया एसीपी व स्थायीकरण के प्रकरण लंबे समय से लंबित होने से सैकड़ों शिक्षाकर्मी प्रभावित हो रहे हैं। वरिष्ठता सूचियों में भी समय पर नामांकन नहीं हो रहा है और न ही शिक्षकों को बीएलओ कार्य सहित सभी गैर शैक्षिक कार्यों से मुक्ति दी जा रही है। गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों को लगाने से विद्यालयों में बच्चों का शिक्षा स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
आंदोलन ही आखिरी रास्ता
इनका कहना है कि सामान्य नियमानुसार होने वाले कामों को भी सरकार और शिक्षा विभाग प्राथमिकता से नहीं लेने से शिक्षकों में लगातार आक्रोश बढ़ रहा है। लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए समय-समय पर अधिकारियों से वार्ता की, पत्र लिखे गए, पत्र पत्रिकाओं द्वारा समाचारों के माध्यम से समस्याओं से अवगत कराया गया पर सरकार और शिक्षा विभाग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। समस्याएं आज तक ज्यों की त्यों रही। तब शिक्षकों के सामने आंदोलन ही आखिरी रास्ता बचता है।

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