निजी स्कूलों पर मेहरबान शिक्षा विभाग : महंगी किताबें और स्कूल की अव्यवस्था पर गठित जांच दल ने डीईओ को आधी-अधूरी रिपोर्ट सौंपी
शहर में निजी स्कूलों की मनमानी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। भास्कर ने 2 माह पहले निजी स्कूलों द्वारा एक ही निर्धारित दुकान से अभिभावकों को किताबें लेने के लिए बनाए जा रहे दबाव की खबर को उजागर किया था। इसके बाद कलेक्टर के आदेश पर शिक्षा विभाग ने सभी को नोटिस जारी किया था। उसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी वसुमित्र सोनी ने अभिभावकों द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद कार्रवाई की बात कही थी।
कुछ दिनों बाद करीब 5-6 अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में निजी विद्यालय के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा गठित जांच दल ने मामले को ठंडे बस्ते में डालते हुए 25 दिन लगा दिए। तब तक स्टेशनरी संचालक ने निजी स्कूलों की करीब 70 फीसदी किताबें मनमाने दाम पर बेच दी। जांच दल ने 23 दिन बाद आधी-अधूरी जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपी। भास्कर ने जब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से की गई जांच की रिपोर्ट जानना चाहा तो मना कर दिया गया। उसके बाद सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली गई।
जांच रिपोर्ट में कहा- किताबें ऑनलाइन उपलब्ध हैं
1. अभिभावकों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर शिक्षा विभाग ने अपना जवाब देते हुए कहा कि निजी विद्यालय की किताबें स्कूल कैंपस में और ऑनलाइन उपलब्ध हैं। जबकि हकीकत यह है ऑनलाइन पर आधी-अधूरी किताबें मिल रही हैं। यदि कुछ किताबें मिल जाती हैं तो वह दोगुने लिंगने दाम मिलती हैं। पर शहर के एक मात्र स्टेशनरी कैंपस संचालक द्वारा बेची जाती हैं। यदि कोई अभिभावक रेट को लेकर स्टेशनरी विक्रेता को कहता है तो वह उल्टा जवाब देते हुए अभिभावकों से कहता है कि पढ़ाना है तो पढ़ाओ वरना सरकारी विद्यालय में भर्ती कराओ, जिससे शहर सहित जिले भर के सैकड़ों अभिभावक निजी स्कूलों और स्टेशनरी संचालक की मनमानी के चलते परेशान हैं।
2. शिक्षा विभाग का कहना है कि अभिभावक पुस्तकें क्रय करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन हकीकत यह है शहर में 4 से 5 निजी विद्यालय जिनको किताबों से लेकर स्कूल टाई, बेल्ट और यूनिफॉर्म तक निर्धारित दुकानों पर मिलती है।
3. शिक्षा विभाग के जांच दल के अनुसार तीसरी मुख्य बात यह है कि संस्था द्वारा अभिभावकों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है, तो शहर के जाने-माने निजी विद्यालय द्वारा शिकायत करने वाले अभिभावक को प्रिंसिपल द्वारा टीसी निकालने की बात क्यों कही जा रही है।इस पूरे मामले में यह बात सामने निकल कर आई है कि निजी विद्यालयों की करतूतों को शिक्षा विभाग के कार्मिक बचाने में लगे हुए हैं
अभिभावक बोले- शिकायत करते हैं तो जवाब मिलता है कि टीसी ले लो
1. शहर के एक अभिभावक राजेंद्र कुमार बताते है, मेरे दोनों बच्चे शहर के निजी विद्यालय नीमच नाका में पढ़ते हैं। मेरे बच्चे स्कूल टीचर द्वारा कॉपी फाड़ने के संबंध में जब प्रिंसिपल से मिले तो हमें प्रिंसिपल कहने लगी कि आपको हमारी स्कूल से ज्यादा शिकायत रहती है तो एक आवेदन स्कूल में भर्ती कराओ। दीजिए। कल आपको टीसी निकाल कर दे देंगे। हमने शिकायत दर्ज कराई। निराकरण करने की बजाय उल्टा हमें ही दबाया गया। अब ऐसा लग रहा है जैसे शिकायत दर्ज करा कर बहुत बड़ा गुनाह किया।
2. शहर के निजी विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाने वाली दूसरी अभिभावक माया सिसोदिया निवासी हाउसिंग बोर्ड बताया कि मेरे दो बच्चे हैं। दोनों को एक निजी स्कूल में पढ़ा रही हूं। दोनों की किताबें लेने जब कैंपस स्टेशनरी पर गई तो दाम ज्यादा लगे, कम करने के लिए कहा। कैंपस स्टेशनरी के संचालक ने कहा, महंगे स्कूल में क्यों पढ़ा रहे हो, सरकारी स्कूल में भर्ती कराओं।
3. एक अभिभावक ने अपना नाम बताने से मना करते हुए भास्कर को बताया कि कैंपस स्टेशनरी संचालक को जब महंगे दाम के बारे में बात की गई तो उसका कहना था कि मैं क्या करूं, स्कूल वाले 50 फीसदी कमीशन ले रहे हैं। 200 की किताब मुझे 500 से 600 में बेचनी पड़ती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें