
हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों पर छाया संकट, सरकारी स्कूल में प्रवेश के दरवाजे बंद
टिब्बी. तीन वर्ष पहले राज्य सरकार के कस्बे के एकमात्र राउमावि (छात्र) को महात्मा गांधी अग्रेंजी माध्यम स्कूल में तब्दील करने से हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों को होने वाले नुकसान अब सामने आने लगे हैं। सबसे बड़ा नुकसान कक्षा ग्यारह के सभी पांच संकायों में हिन्दी माध्यम के बच्चों का प्रवेश बंद होने से हुआ है। कस्बे के राउमावि (छात्र) को वर्ष 2020 में अंग्रेजी माध्यम स्कूल में तब्दील कर पहले वर्ष कक्षा एक से आठवीं तक अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं लगाई गई थी।
इस दौरान नौ से 12 तक हिन्दी माध्यम की कक्षाएं भी लगी। पहले वर्ष अंग्रेजी माध्यम के कक्षा आठ के छात्र नौंवीं कक्षा में आ गए। इसके कारण नौवीं कक्षा हिन्दी माध्यम के बच्चों के लिए बंद हो गई। दूसरे वर्ष नौवीं कक्षा के बच्चे दसवीं में आने के कारण हिन्दी माध्यम के बच्चों के लिए दसवीं कक्षा बंद हो गई। इसी तरह इस बार अंग्रेजी माध्यम के दसवीं के छात्रों के 11वीं कक्षा में आने से कक्षा 11 के पांचों संकाय बंद होने से हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी प्रवेश के लिए मारे-मारे घूम रहे हैं।
टिब्बी तहसील के हिन्दी माध्यम के सबसे पुराने व सबसे बड़े रहे इस स्कूल में कला वर्ग के साथ विज्ञान वर्ग में मेडिकल, नॉन मेडिकल व एग्रीकल्चर तथा कॉमर्स संकाय स्वीकृत था। इनमें टिब्बी कस्बे के साथ आसपास के गांवों के विद्यार्थी अध्ययन के लिए प्रवेश लेते थे। लेकिन इस स्कूल के अंग्रेजी माध्यम स्कूल बनने के बाद अब केवल अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को ही प्रवेश दिया जा सकता है।
बालिकाएं भी परेशान
पिछले सत्र में इस स्कूल में हिन्दी माध्यम की नौवीं व दसवीं कक्षा नहीं लगने से कस्बे के सैकड़ों छात्रों को मजबूरन हिन्दी माध्यम के निजी स्कूल में प्रवेश लेना पड़ा। कई किलोमीटर दूरी तय कर दूसरे गांव के स्कूल में जाना पड़ा। हालांकि छात्राओं के लिए यहां बालिका उमावि होने के कारण कक्षा नौ व दस की छात्राओं को कोई परेशानी नही हुई। लेकिन बालिका स्कूल में भी केवल एक ही संकाय है, कला संकाय के अलावा अन्य संकायों में प्रवेश लेने वाली बालिकाएं भी अब परेशान हैं। कस्बे के एकमात्र हिन्दी माध्यम के उमावि को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने के दौरान किसी ने भी इससे हिन्दी माध्यम के बच्चों को होने वाली परेशानी की ओर ध्यान नही दिया। इसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे है।
पांचों संकाय बंद
कस्बे में अंग्रेजी माध्यम स्कूल में तब्दील हुए राउमावि में उच्च माध्यमिक स्तर पर हिन्दी माध्यम के बच्चों के लिए पांचों संकायों को शुरू कराने में वर्षों लग गए। लेकिन अब एक झटके में हिन्दी माध्यम के बच्चों के लिए सभी पांचों संकायों में प्रवेश के द्वार बंद कर दिए गए हैं। पांचों संकायों कला, वाणिज्य, विज्ञान (मेडिकल, नॉन मेडिकल व एग्रीकल्चर) के हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए बंद होना गरीब वर्ग के बच्चों के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है।
यह हो सकते हैं विकल्प
कस्बे के कक्षा नौ से 11 तक के हिन्दी माध्यम के सैकड़ाें विद्यार्थियों को राहत देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है। इसके तहत अंग्रेजी माध्यम में तब्दील किए गए स्कूल को दो शिफ्ट (पहली शिफ्ट अंग्रेजी माध्यम, दूसरी शिफ्ट हिन्दी माध्यम) में चलाने, कस्बे के बालिका उमावि को सह शिक्षा विद्यालय घोषित कर उसमें उच्च माध्यमिक स्तर पर पांचों संकाय शुरू करने, कस्बे के छह जीजीआर के उच्च प्राथमिक स्कूल को उच्च माध्यमिक स्तर पर क्रमोन्नत कर सभी पांचों संकाय संचालित किए जा सकते हैं।
देनी पड़ेगी भारी-भरकम फीस
कस्बे में अन्य कोई सरकारी स्कूल नहीं होने के कारण छात्रों को या तो कई किलोमीटर दूरी तय कर दूसरे कस्बों में जाना पड़ेगा अथवा यहां के निजी स्कूलों में भारी भरकम फीस भरकर अध्ययन करना पडे़गा।इस स्कूल में कक्षा 11 के पांचों संकाय तो हिन्दी माध्यम के बच्चों के लिए बंद हुए ही हैं। साथ ही कक्षा नौ व दस में भी छात्रों का प्रवेश बंद होने तथा उच्च माध्यमिक स्तर का दूसरा सरकारी स्कूल नहीं होने से भी परेशानी हुई है।
इनका कहना है-
कक्षा 11 के पांचों संकायों में हिन्दी माध्यम के बच्चों के लिए कोई आदेश नही होने के कारण केवल अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को ही प्रवेश दिया जा रहा है। उच्चाधिकारियों को हिन्दी माध्यम के बच्चों के समक्ष आ रही परेशानी से अवगत कराया गया है, जैसे ही कोई आदेश आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। -जगदीश कुमार भाटी, प्रधानाचार्य महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल टिब्बी।
नहीं क्रमोन्नत हुआ छह जीजीआर स्कूल
कस्बे के एकमात्र हिन्दी माध्यम के उमावि को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने के बाद हिन्दी माध्यम के कक्षा नौ, दस तथा कक्षा 11 के विद्यार्थियों के समक्ष हो रही परेशानी के चलते नागरिक कस्बे के छह जीजीआर स्थित राउप्रावि को उमावि में क्रमोन्नत कर सभी संकायों की कक्षाएं शुरू किए जाने की मांग कर रहे हैं। पिछले तीन सालों के दौरान क्षेत्र के अनेक स्कूल क्रमोन्नत हुए। लेकिन कस्बे के इस स्कूल को क्रमोन्नत नहीं किया जा रहा है। इससे हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी परेशान हैं।
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