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सोमवार, 4 सितंबर 2023

39 करोड़ रुपए वसूले बिना ही अन-ब्लॉक करडाले 4782 कर्मचारियों के आरजीएचएस कार्ड



 39 करोड़ रुपए वसूले बिना ही अन-ब्लॉक करडाले 4782 कर्मचारियों के आरजीएचएस कार्ड

प्रदेश में अवैध तरीके से अपने परिजनों का इलाजकरवाने वाले 4782 सरकारी कर्मचारियों के राजस्थानगवर्नमेंट हेल्थ स्कीम(आरजीएचएस) कार्ड, 39 करोड़रुपए वसूले बिना अन-ब्लॉक कर दिए गए हैं। इनमेंभरतपुर संभाग के करीब 250 से ज्यादा कर्मचारी हैं।दरअसल कर्मचारियों द्वारा नियमों के खिलाफ सास-ससुरऔर जवान बच्चों का इलाज कराने पर कार्ड ब्लॉक किएगए थे। आरजीएचएस को इस रकम पर 18 फीसदी ब्याजभी अलग से वसूलना था। लेकिन कार्रवाई नहीं की।आरजीएचएस के तहत सरकारी कर्मचारियों कोकैश-लैस ट्रीटमेंट की सुविधा मिलती है। साथ हीचिकित्सकों द्वारा लिखी गई दवाएं वह निजी स्टोर से भीखरीद सकते हैं।


कर्मचारी 25 साल से अधिक उम्र केबेटे-बेटी और सास-ससुर का इलाज का खर्च नहीं लेसकते। इसके बावजूद प्रदेश में 2314 कर्मचारियों ने कार्डसे 2,24,10,762 रुपए का बेटे-बेटी का इलाज कराया।2468 कर्मचारियों ने 10,78,47,053 रुपए कासास-ससुर का इलाज करा लिया। ऐसे में इन 4782कर्मचारियों के आरजीएचएस कार्ड ब्लॉक कर दिए गएथे। कर्मचारियों को इलाज की रकम की तीन गुणा राशिजमा करानी थी।


जो 39 करोड़ रुपए बनती है।भुगतान की तारीख से 18 फीसदी ब्याज भी वसूलाजाना था। अधिकांश कर्मचारियों से वसूली नहीं की जासकी। अब विभाग ने इनके कार्ड तीन महीने के लिएअन-ब्लॉक कर दिए है। ऐसे में कर्मचारी अब फिर से इसयोजना का लाभ उठा सकेंगे। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहाहै कि कर्मचारियों से बिना वसूली कार्ड अन-ब्लॉक क्योंकिए गए? यदि रकम जमा कराने के लिए समय देना हीथा तो वह ब्लॉक किए बिना ही क्यों नहीं दिया गया? इससंबंध में भास्कर ने परियोजना निदेशक शिप्रा विक्रम सेसंपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।


जानिए 4 किस्से: नियम विरुद्ध लाभ उठाने वालों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

केस 1 : बदामी देवी के इलाज में 33,59,179 रुपए का खर्च आया। भर्ती कराते समय उन्हें मेडिकल विभाग में कार्यरत बहू मंजू कुमारी ने उन्हें मां बताते हुए आरजीएचएस कार्ड नंबर 10120221327303659 दर्ज कराया। पूरे इलाज का क्लेम आरजीएचएस से पास कराया गया।


केस 2 : भूपेन्द्र कुमार सुवासिया के इलाज में 9,50,301 रुपए खर्च हुए। उनके पिता कैलाश चंद रैगर शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। बेटा 25 साल से ज्यादा होने के बावजूद उसका नाम आरजीएचएस से नाम नहीं हटवाया। अस्पताल में कार्ड नं. 2404202112022968 से बेटे का इलाज करवाया।


केस 3 : जवान बेटा दीपक व्यास बीमार हुए। तो इलाज पर 29,08,233 रुपए से ज्यादा खर्च हुआ। उनकी उम्र 25 साल से ज्यादा थी। इस उम्र के अविवाहित बेटे का जन-आधार अलग से बन सकता है। फिर भी पीएचईडी में कार्यरत पिता अरुण कुमार व्यास ने जन-आधार कार्ड से उसका नाम अलग नहीं कराया। ऐसे में वह आरजीएचएस कार्ड नं. 26042021154061772 में रजिस्टर्ड हो गया। इलाज का पूरे खर्च का सरकारी खाते से भुगतान हुआ।


का पूरे खर्च का सरकारी खाते से भुगतान हुआ।

केस 4: सास स्नेहलता और ससुर गोविंद प्रसाद दोनों बीमार हो गए। इलाज में 6,21,196 रुपए का खर्च आया। शिक्षा विभाग में कार्यरत बहु सोनिया दूबे का आरजीएचएस कार्ड 230420211616263594 है। उन्होंने दोनों का इलाज अपने आईजीएचएस से कराया


पहले यह थी व्यवस्था... सरकार उठाती थी इलाज का खर्च

शादीशुदा सरकारी कर्मचारियों के माता-पिता, पत्नी, पति और 25 साल तक के बच्चों के इलाज का खर्च सरकार उठाती है। पहले निजी अस्पताल में भर्ती कराने पर कर्मचारी को बिल का भुगतान खुद करना होता था। बाद में केन्द्र सरकार की निर्धारित दरों के अनुसार राज्य सरकार उन बिलों पर रकम खर्च करती थी। केन्द्र दरें अस्पतालों से काफी कम थी। ऐसे में शेष रकम कर्मचारी को भुगतनी पड़ती थी। इसी तरह ना तो निजी चिकित्सक को नहीं दिखा सकते थे। उपभोक्ता भंडार के एनओसी मिलने पर ही निजी दुकान से दवा खरीद सकते थे।


यह है आरजीएचएस योजना.... कर्मचारी आजीवन कहीं भी इस योजना में निशुल्क अपना इलाज करा सकता है

कर्मचारी आजीवन कहीं भी निशुल्क अपना इलाज करा सकें इसके लिए राज्य सरकार ने आरजीएचएस योजना शुरू की। जिसमें अधिकांश बड़े निजी अस्पतालों, क्लिनिकों, डायग्नोस्टिक सेंटरों और मेडिकल स्टोर को इमपेनल्ड इलाज कराने वाले R कर्मचारियों को किसी भी तरह का भुगतान नहीं करना होता । निजी डॉक्टर को ओपीडी दिखाने की फीस, जांच और दवा सबकुछ मुफ्त मिलते हैं। इसमें इलाज कराने के लिए खर्च की कोई सीमा भी निर्धारित नहीं है। इसी प्रकार पेंशनर्स ओपीडी में 30 हजार और आईपीडी में 5 लाख रुपए तक का निशुल्क उपचार ले सकते हैं। नं. इस रकम के खर्च होने पर ट्रेजरी से खर्च की सीमा बढ़वानी होती. है। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) कार्ड सरकारी कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद है।


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