शिक्षक व उसके पिता के नाम में संशोधन की तैयारी!
अलवर. जिला परिषद की ओर से शिक्षकों के नामों में संशोधन किए जा रहे हैं। किसी के पिता का नाम बदला गया है तो किसी के नाम के आगे जाति से लेकर अन्य बदलाव हुए हैं। एक और शिक्षक का ऐसा ही प्रकरण आया है जिसमें जाति नाम के साथ जोड़ने का प्रस्ताव आया है, जिसे जिला परिषद ने जिला स्थापना समिति की बैठक के एजेंडे में शामिल किया गया है। इस पर फिर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।
तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 1995 के तहत दिनेश सिंह पुत्र जयदयाल सिंह को नियुक्ति पत्र दिया गया था। नियुक्ति के 28 साल बाद इन्हें याद आया कि नाम के साथ जाति जुड़ना जरूरी है। उन्होंने अब परिषद से कहा है कि वह दिनेश सिंह यादव पुत्र जयदयाल सिंह यादव नाम चाहते हैं। इस प्रस्ताव को जिला परिषद ने भी शामिल कर लिया। हालांकि तर्क दिए जा रहे हैं कि संबंधित शिक्षक इस संबंध में अभिलेख प्रस्तुत कर रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि इससे फर्जी भर्ती की भी आशंका है। यदि जांच हो तो सभी सामने आ जाएगा।
इस तरह हुए बदलाव : राउमावि नयाबास बानसूर में तैनात शिक्षक विजय कुमार ने अपना नाम विजय कुमार यादव, राउमावि रायली बानसूर में कार्यरत जगदीश प्रसाद ने जगदीश प्रसाद यादव, राजकीय माध्यमिक विद्यालय (रामावि) नारेड़ी मुंडावर में तैनात मोहनलाल ने मोहनलाल शर्मा, रामावि जसाई मुंडावर के कंवर सिंह ने कंवर सिंह महलावत, राउमावि अजबपुरा थानागाजी में तैनात राजेश कुमार ने राजेश कुमार गुप्ता करवाया। शिक्षक कंवर सिंह ने अपने पिता का नाम लल्लूराम की जगह बुलाराम महलावत करवाने के लिए पत्र दिया था लेकिन अभी इस पर परिषद अंतिम मुहर नहीं लगा पाई। इस संबंध में जिला परिषद के सीईओ से संपर्क साधा गया लेकिन नहीं हो सका।
इन शिक्षकों को अब तक बिना नाम बदले ही सभी सेवाओं का मिला लाभ : वर्ष 1994-95 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्तियां हुई थी। उस दौरान शिक्षकों ने नौकरी शुरू कर दी। नियुक्ति पत्र पर ध्यान नहीं दिया। अब नौ माह में ही इन शिक्षकों ने अपने व पिता के नामों में संशोधन के आवेदन कर दिए।
इनके भी बदले गए नाम
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (राउमावि) दानपुर रैणी में तैनात शिक्षक धनपाल को 28 साल बाद याद आया कि उनका नाम धनपाल बैरवा व पिता का नाम भम्बू राम बैरवा है।
नीमराणा के राउमावि भीमसिंहपुरा स्कूल में कार्यरत शिक्षक दिनेश कुमार की है। उन्हें भी अब जाकर बिरादरी की याद आई कि वह शर्मा हैं।
ये उठे सवाल
कक्षा 10 व 12 में मार्कशीट में दर्ज नाम के आधार पर ही नौकरी मिलती है। उसी नाम से नियुक्ति पत्र जारी होते हैं। यदि उस दौरान मार्कशीट में नियुक्ति पत्र वाला नाम था तो जिला परिषद ने अब किस आधार पर नाम बदले? यदि शिक्षकों के नाम अब जाकर सही हुए हैं तो उस समय एक साथ सात लोगों के नियुक्ति पत्र में नाम कैसे गलत लिखे गए?

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