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बुधवार, 13 सितंबर 2023

सरकार शिथिलन दे तो हो सकती है डीपीसी



 सरकार शिथिलन दे तो हो सकती है डीपीसी

शिक्षा विभाग में गत तीन वर्षों 2020-21, 2021-22, 2022-23 एवं 2023-24 की बकाया डीपीसी नहीं करने से एक और शिक्षकों में नाराजगी का माहौल है। वही सरकार भी चुनावी मोड में नाराजगी दूर करने की कवायद कर रही है। अध्यापक से वरिष्ठ अध्यापक पदोन्नति नहीं होने से नई भर्ती में चयनित शिक्षकों को भी पदस्थापन करना मुश्किल हो गया है। क्योंकि प्रारंभिक शिक्षा विभाग में पद ही खाली नहीं है। यदि सरकार बकाया डीपीसी पूर्ण करे तो पद खाली हो सकते है, जिससे नई भर्ती के शिक्षकों को भी पदस्थापन किया जा सकता है।


सरकार के पास क्या है विकल्प

राज्य सरकार सरकारी कार्मिकों को वर्ष में दो बार पदोन्नति देने को अपनी उपलब्धि के तौर पर चुनाव में प्रचार करना चाहती है। लेकिन वर्ष में दो की जगह एक डीपीसी भी पूर्ण नही होने से अध्यापकों में निराशा है। सरकार यदि आचार सहिता से पहले पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण करना चाहे तो न्यायालय में लंबित केस में शपथ पत्र देकर याचिका के अधीन सभी को पदस्थापित करडीपीसी पूर्ण की जा सकती है। जिस तरह द्वितीय श्रेणी से प्रथम श्रेणी डीपीसी में यूजी पीजी मसले पर शिथिलता दी जा रही है, ठीक उसी तरह एडिशनल को भी एक निश्चित समयावधि तक पात्रता प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों को डीपीसी में शामिल करे तो पदोन्नति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।


इनका कहना है

विगत तीन वर्षों से डीपीसी प्रक्रिया रुकी हुई है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका के अधीन सभी को नियुक्ति देकर डीपीसी करें तो विद्यालयों में वरिष्ठ शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी। राजस्थान सेवा नियम 1971 से लगातार 50 वर्षो से वरिष्ठ अध्यापक डीपीसी में अतिरिक्त विषय योग्यता वालों को शामिल करके डीपीसी की जा रही है। चूंकि अतिरिक्त विषय स्नातक योग्यता का चतुर्थ वैकल्पिक विषय योग्यता है, इसलिए याचिका के अधीन शपथ पत्र द्वारा राज्य सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों को डीपीसी के माध्यम से हजारों शिक्षकों को राहत  भरी खबर दे सकती है।-ठाकराराम, सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार 


क्यों लंबित है डीपीसी

दरअसल शिक्षा विभाग में आज तक हुई डीपीसी में अतिरिक्त विषय से स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को वरिष्ठ अध्यापक पद के लिए पात्र माना जाता था। मगर सरकार ने बिना सेवा नियमों में संशोधन किए एक कमेटी के फैसले का हवाला देकर डीपीसी में अतिरिक्त विषय स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को अपात्र करार दिया। फलस्वरूप अतिरिक्त विषय से स्नातक अभ्यर्थियों ने न्यायालय की शरण ली। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने डीपीसी पर स्थगन दे दिया। सरकार स्थगन के खिलाफ खंडपीठ में गई। खंडपीठ ने एडिशनल को शामिल करते हुए बंद लिफाफे में डीपीसी करने पर सहमति दी। लेकिन अतिरिक्त विषय से स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने उच्चतम न्यायालय की शरण लेकर बंद लिफाफे में डीपीसी का विरोध कर स्थगन ले लिया। इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट में ठाकराराम बनाम राजस्थान सरकार विचाराधीन होने के कारण सरकार पदोन्नति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रही है।


पदोन्नति का असर

समय पर पदोन्नति नहीं होने से विद्यालयों में विषयाध्यापकों के पद रिक्त है। वरिष्ठ अध्यापकों के कुल 80821 पद स्वीकृत है, जिसमें 56910 वरिष्ठ अध्यापक कार्यरत है, जबकि 23912 पद खाली हैं। शिक्षण व्यवस्था चरमराई हुई है।  गैर शैक्षणिक कार्यों की अधिकता से बच्चों की शिक्षण व्यवस्था सुचारू नही चल पा रही हैं।

सरकार शिथिलन दे तो हो सकती है डीपीसी Rating: 4.5 Diposkan Oleh: UP BASIC NEWS

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