सरकार ने फीस की पहली किस्त नहीं दी, स्कूल बना रहे फीस का दबाव
बीकानेर. राज्य सरकार ने आरटीई के तहत आठवीं तक निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने वाली छात्राओं के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक नि:शुल्क शिक्षा की घोषणा कर रखी है। परन्तु फीस स्कूलों को सीधे देने की बजाय सरकार ने दो भाग में अभिभावकों के बैंक खातों में देने की घोषणा की है। अब स्थिति यह है कि किस्त दी नहीं है। स्कूल बिना फीस छात्राओं को कक्षाओं में बैठने नहीं दे रहे। कुछ स्कूलों ने तो अर्द्धवार्षिक परीक्षा से बालिकाओं को वंचित करने की धमकी तक दे रखी है। अभिभावकों के सामने परेशानी यह भी है कि निजी स्कूल सरकार से पुनर्भरण के लिए तय फीस से चार से पांच गुणा फीस मांग रहे हैं। ऐसी दर्जनों शिकायतें जिला कलक्टरों, शिक्षा अधिकारी कार्यालय और शिक्षा निदेशालय तक पहुंची हैं। इसके बावजूद सरकार और शिक्षा विभाग घनघोर चुप्पी साधे बैठा है।
साल भर से स्पष्टता नहीं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणानुसार निजी स्कूलों में आरटीई में अध्ययनरत बालिकाओं की 12वीं तक पढ़ाई निरंतर जारी रखने तथा इसके लिए इंदिरा महिला शक्ति निधि से उनकी फीस का पुनर्भरण करने की घोषणा की। शिक्षा निदेशालय (प्रा. शिक्षा) ने 10 अगस्त-22 को जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी परिपत्र में दिशा-निर्देश जारी किए। इसमें कक्षा 9वीं से 11वीं तक छात्राओं को आरटीई के तहत विद्यार्थियों की निर्धारित यूनिट कॉस्ट (आठवीं में सरकार की ओर से दी गई फीस व अन्य राशि) के साथ उसकी दस प्रतिशत राशि अतिरिक्त और कक्षा 11 व 12 में यूनिट कॉस्ट के साथ 20 प्रतिशत राशि अतिरिक्त दी जाएगी। विभाग ने यह राशि दो किस्तों में फीस पुनर्भरण के रूप में देने के निर्देश दिए। सत्र के चार महीने पूरे होने पर पहलीऔर इसके बाद सत्र के अंत में दूसरी किस्त देने का प्रावधान है।
सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूलों में कक्षा आठवीं तक तो बालिकाओं को सरकार की ओर से तय यूनिट कॉस्ट पर बच्चों को पढ़ा दिया। परन्तु 9वीं में आते ही स्कूल 40 से 50 हजार रुपए तक सालाना मांग रहे हैं। जबकि यूनिट कॉस्ट 10 से 12 हजार रुपए और दस प्रतिशत जुड़कर 13-14 हजार रुपए सालाना बनता है। सरकार फीस सीधे स्कूल की बजाए अभिभावक को देगी। ऐसे में स्कूल तय यूनिट से कई गुणा ज्यादा वसूली का दबाव बना रहे हैं।
स्थिति स्पष्ट करेंगे
ऐसा कोई मामला मुझ तक नहीं पहुंचा है। यदि सरकार की कक्षा 9वीं से 12वीं तक की बालिकाओं को शिक्षा के संबंध में बजट घोषणा को लेकर निजी स्कूलों और अभिभावकों में कोई कन्फ्यूजन है, तो उसे दूर किया जाएगा। शिक्षा से कोई भी स्कूल छात्राओं को वंचित नहीं कर सकता। - कानाराम, निदेशक शिक्षा निदेशालय बीकानेर
केस-2
बीकानेर के आरबीएसई से सम्बद्ध निजी स्कूल में आरटीई के तहत प्रवेशित बालिका के कक्षा 9 में आने पर अभिभावकों से प्रबंधन ने फीस की पहली किस्त जमा करवा ली। यह राशि स्कूल की सरकार की तरफ से तय सालाना फीस पुनर्भरण राशि के बराबर थी। अब अभिभावक से दूसरी किस्त की मांग कर बच्ची को अर्द्धवार्षिक परीक्षा से वंचित करने की धमकी दे रहे हैं।
केस-1
श्रीगंगानगर में सीबीएसई के निजी स्कूल में आरटीई के तहत अध्ययनरत छात्रा के अभिभावकों पर स्कूल प्रबंधन फीस जमा करवाने का दबाव बना रहा है। अभिभावक ने कलक्टर, डीईओ को फीस पर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया। तीन महीने बाद भी शिक्षा विभाग चुप्पी साधे है। दूसरी तरफ स्कूल यूनिट कॉस्ट से कई गुणा फीस जमा कराने के लिए दबाव डाल रहा है।

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