शिक्षकों की कमी के बीच खुलेंगे 19 नए संस्कृत कॉलेज, डेढ़ दशक से प्रदेश के संस्कृत कॉलेज में नहीं हुई भर्ती
अजमेर. राज्य में संस्कृत शिक्षा महाविद्यालयों में शिक्षकों की गंभीर कमी के बीच जुलाई माह में 19 नए संस्कृत कॉलेज खोले जाने की तैयारी की जा रही है। फिलवक्त मात्र 65 शिक्षक कार्यरत हैं। मौजूदा स्टाफ से ही नए कॉलेज में शिक्षकों को भेजा जाएगा। हालांकि 150 शिक्षकों की भर्ती प्रस्तावित है। जिसकी पत्रावली कॉलेज-संस्कृत शिक्षा निदेशालय और राजस्थान लोक सेवा आयोग में घूम रही है।
33 से ज्यादा सरकारी संस्कृत कॉलेज
अजमेर सहित कोटा, उदयपुर, नाथद्वारा, डूंगरपुर, बीकानेर, सीकर, जोधपुर, जयपुर सहित अन्य जिलों में 33 से ज्यादा सरकारी संस्कृत कॉलेज हैं। शुरुआत में यह कॉलेज स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन थे। चार साल पहले इन्हें कॉलेज-संस्कृत शिक्षा निदेशालय अधीन किया गया। कॉलेज में पिछले 15 साल में नई भर्तियां नहीं होने से हालात बिगड़ रहे हैं।
पहले यूं चलता था काम...
2004-05 से पहले तक संस्कृत शिक्षा के कॉलेज में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त थी। सरकारी संस्कृत स्कूल के शिक्षकों को अनुभव और न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के आधार पर कॉलेज में व्याख्याता बनाया जाता रहा था। 2005 में यूजीसी के नियम लागू होने यह सिलसिला थम गया।
राज्य में मात्र 65 शिक्षक
जगदगुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विवि से संबद्ध करीब 33 सरकारी संस्कृत कॉलेज में महज 65 शिक्षक कार्यरत हैं। राज्य के संस्कृत कॉलेज में करीब 6 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
ये हैं कॉलेज की परेशानियां
- अजमेर सहित कई कॉलेज में नहीं स्थाई प्राचार्य
- यूजीसी के नियमानुसार 1 प्रोफेसर, 2 रीडर और तीन लेक्चरर नहीं
- सभी कॉलेज में शिक्षकों के 5 से 10 पद खाली
- मंत्रालयिक और सहायक कर्मचारियों के पद रिक्त
- डीपीसी नहीं होने से अटकी हैं पदोन्नति
- कम्प्यूटर और पर्यावरण विज्ञान विषय पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं
150 शिक्षकों की होनी है भर्ती
कॉलज-संस्कृत शिक्षा निदेशालय के स्तर पर 150 नए शिक्षकों की भर्ती होनी है। पदों के परीक्षण को लेकर पत्रावली निदेशालय और राजस्थान लोक सेवा आयोग के बीच घूम रही है। जुलाई में 19 नए संस्कृत खुलने पर स्थिति ज्यादा खराब होगी। मौजूदा कॉलेज के स्टाफ से ही शिक्षकों को नए कॉलेज में भेजा जाएगा।
इनका कहना है
संस्कृत शिक्षण संस्थानों में नई भर्तियां प्रस्तावित हैं। ज्यादा जानकारी उच्चाधिकारी ही दे सकते हैं।-डॉ. अवधेश, प्राचार्य, राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज, अजमेर

0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें