राज्य के 65 हजार स्कूलों में चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों के 19 हजार से अधिक पद खाली, ज्यादातर कर्मचारी जिलों के कार्यालयों में बैठे हैं
प्रदेश की स्कूलों में शिक्षकों को विभिन्न गैर शैक्षणिक व लिपिकीय कार्यों के साथ स्कूल के दरवाजे खोलने व बन्द करने,घंटी बजाने,कक्षा कक्षों में झाड़ू लगाने, पानी टंकी की सफाई ,कॉम्बो पैक व तेल, पाठ्य पुस्तकें वितरित करने के साथ फोटो कॉपी करवाने जाने जैसे चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के कार्य भी करने पड़ रहे हैं। राज्य में तकरीबन 64 हजार 963 स्कूल हैं जिनमें चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के 24804 पद स्वीकृत हैं, जबकि 5741 ही कार्यरत हैं।
यानी 19 हजार 163 पद खाली पड़े हैं। वहीं जमादारों के 421 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल 110 ही कार्यरत हैं। इन कार्मिकों में से अधिकांश डीईओ,सीबीईओ सीडीईओ कार्यालयों में नियुक्त कर रखे हैं जिससे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के जिम्मे के कार्य भी शिक्षकों को निपटाने पड़ रहे हैं।संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर नियमित नियुक्ति नही होने तक अस्थायी समाधान के लिए मनरेगा में कार्यरत श्रमिकों में से राज्य के प्रत्येक विद्यालय में न्यूनतम एक चतुर्थ श्रेणी व सहायक कार्मिक की नियुक्ति करने की मांग की है। - रवि आचार्य, अतिरिक्त महामंत्री, शिक्षक संघ राष्ट्रीय
केवल अनुकंपा नियुक्ति से हो रही भर्ती
शिक्षक संघ राष्ट्रीय की प्रदेश महिला मंत्री जयमाला पानेरी ने कहा कि शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती पिछले कई साल से बंद कर रखी है। इसके चलते जिस स्कूल से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रिटायर हो जाता है, उस पद पर दुबारा किसी की नियुक्ति नहीं होती। कभी कभार अनुकंपा नियुक्ति के रूप में जरूर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मिल जाता है। इसके अलावा पूरे पद खाली रह जाते हैं।

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