शिक्षक स्कूलों में घंटी बजाने व ताले लगाने को मजबूर
अजमेर | शिक्षकों को विभिन्न गैर शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ स्कूल के दरवाजे व ताले खोलने व बंद करने, घंटी बजाने, कक्षा कक्षों में झाडू लगाने, पानी टंकी की सफाई, काम्बो पैक व पाठ्य पुस्तकों का वितरण करने जैसे अनेक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के काम करने पड़ रहे हैं। इससे शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश उपाध्यक्ष भंवर सिंह राठौड़ ने बताया कि राज्य में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों व जमादारों के स्वीकृत पदों में से 77 प्रतिशत पद रिक्त हैं। प्रदेश में करीब 64963 स्कूल हैं, जिनके लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 24804 पद स्वीकृत हैं, जबकि करीब 5741 कार्यरत हैं। यह कुल स्कूलों के 1 प्रतिशत भी नहीं हैं । हाल ये हैं कि वर्तमान में किन्हीं स्कूलों में 2 से 3 चतुर्थ श्रेणी कार्यरत हैं तो अधिकांश विद्यालयों में एक भी नसीब नहीं है। इन कार्मिकों में से अधिकांश डीईओ, सीबीईओ, सीडीईओ कार्यालयों में नियुक्त कर रखे हैं। नियमों के तहत स्कूलों में छात्र-छात्राओं से काम नहीं करवाया जा सकता। इसके चलते चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के काम मजबूरी में शिक्षकों को करने पड़ रहे हैं।
मनरेगा कार्मिकों की नियुक्ति से मिल सकती है राहत
प्रदेश के शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की भर्ती लंबे समय से नहीं हुई है। इसके चलते जिस स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कार्मिक सेवानिवृत हो जाता है, वहां उन पद पर दुबारा किसी की नियुक्ति नहीं होती। किन्हीं मामले में अनुकंपा नियुक्ति के रूप में जरूर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मिल जाता है। इसके अलावा पूरे पद खाली रह जाते हैं । संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर मनरेगा में कार्यरत श्रमिकों में से राज्य के प्रत्येक विद्यालय में कम से कम एक चतुर्थ श्रेणी व सहायक कार्मिक की नियुक्ति करने की मांग की है।

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