‘क’ से कबूतर के साथ बच्चे सीखेंगे एआई, रोबोटिक्स और कोडिंग
जयपुर. एडवांस तकनीक का क्रेज युवाओं ही नहीं, बच्चों में भी देखने को मिल रहा है। राजधानी के कई स्कूलों ने अपने पाठ्यक्रम में एडवांस तकनीक को शामिल किया है। बच्चे ‘क’ से कबूतर के साथ एडवांस तकनीक की खूबियां भी सीख रहे हैं। लैब में पहली से 12वीं तक के बच्चों को थ्री डी प्रिंटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग रोबोटिक सहित कई तरह की कोडिंग भी सिखाई जा रहीं हैं। बच्चे इन तकनीक को गंभीरता से सीख रहे हैं। अभिभावक भी बच्चों की रुचि को देखकर संतुष्ठ नजर आ रहे हैं।
सप्ताह में एक बार क्लास
पिछले दो वर्षों में शहर के दो दर्जन से अधिक स्कूलों में एडवांस तकनीक की लैब स्थापित हुई है। सप्ताह में एक बार इसकी क्लास लगाई जा रही है। वार्षिक मूल्यांकन के लिए टेस्ट भी लिया जा रहा है। बच्चों को इस पाठ्यक्रम का सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा है। वहीं, स्कूल के अलावा शहर में निजी लैब में भी बच्चे इस तकनीक को सीखने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक्सपर्ट की मानें तो कनाडा और यूएस के स्कूलों इस तकनीक को सबसे पहले अपनाया था।
छुट्टियों में वर्कशॉप भी
वर्ष पहले शहर के आधा दर्जन स्कूलों में ही थी लैब से अधिक स्कूलों में अब हुई लैब से 70 हजार बच्चे रोज सीख रहे हैं एडवांस तकनीक वीं तक के बच्चे सीख रहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आने वाला समय इसी तकनीक का है। ऐसे में स्कूलों और निजी इंस्टीट्यूट पर छोटी कक्षाओं के बच्चे ड्रोन, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी एडवांस तकनीक को सीख रहे हैं। -अमित मेहरा, एक्सपर्ट
स्कूलों में आयोजित होने वाली वर्कशॉप और समर कैंप में भी बदलाव देखने को मिले हैं। स्कूलों में ड्रोन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वर्चुअल रियलिटी, रोबोटिक्स
आदि जानकारी देने के लिए वर्कशॉप लगाई जा रही है। अभिभावक भी बच्चों को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। आज कोई भी विद्यालय एडवांस तकनीक को अनदेखा नहीं कर सकता क्योंकि ये समय की मांग है

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