उदासीनता : कॉलेज तो खोल दिया पर फूटी कौड़ी तक नहीं दी, भामाशाह ने चला रखी गाड़ी
चीखली. यहां वर्ष 2021 में राजकीय कॉलेज शुरू हो गया। कॉलेज एक स्कूल के दो कमरों में चल रहा है। स्टाफ अभी मिला नहीं है। जितने छात्र-छात्राएं अभी अध्ययन कर रहे है और जो स्टाफ है उसमें कॉलेज चलाने के लिए कुछ भी चाहिए तो भामाशाह की मदद से ही पूरा हो पाएगा। राज्य सरकार तो कॉलेज के संचालन के लिए फूटी कौड़ी तक नहीं दे रही है। कॉलेज संचालन में जो भी संसाधन चाहिए वह अपने स्तर पर भामाशाह के भरोसे पूरा किया जा रहा है। ग्रामीण भी बच्चों का कॉलेज चले इसके लिए पूरे मन से सहयोग दे रहे है लेकिन सरकार की मदद अभी तक नहीं मिली। अब कॉलेज भवन बनाने को लेकर एक महीने पहले काम जरूर शुरू हुआ लेकिन उसे बनने में समय लगेगा तब तक 200 पार जो विद्यार्थी है वे स्कूल के दो कमरों में ही कॉलेज की पढ़ाई करेंगे। राजकीय महाविद्यालय चीखली वर्ष 2021 में शुरू हुआ जो ग्राम पंचायत साकोदरा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ससलाई के दो कमरों में संचालित हो रहा हैं। दो वर्षो में सरकार ने वहां अन्य कोइ सुविधाएं अभी तक नहीं दी।
ये विषय संचालित
महाविद्यालय में सात विषय स्वीकृत है, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, राजनीति विज्ञान, इतिहास, भूगोल व अर्थशास्त्र शामिल है। वहीं कुल 215 विद्यार्थी अध्ययनरत, वर्तमान में स्कूल के अस्थाई भवन में प्रथम व द्वितीय वर्ष कक्षाएं संचालित हो रही है।
पदों के मुकाबले अधिकांश खाली
यहां पर शैक्षणिक सात व अशैक्षणिक 13 पद स्वीकृत है, जिसमें महज एक राजनीति विज्ञान का पद भरा हुआ हैं। कूल 19 पद रिक्त हैं। जिसमें शैक्षणिक 6 व अशैक्षणिक 13 पद रिक्त हैं। पूरे स्वीकृत पदों में महज एक स्थायी कर्मचारी हैं। अभी विद्या सम्बल योजना के भरोसे शिक्षण कार्य हो रहा हैं। कार्यालय अधीक्षक, पुस्तकालय अधीक्षक, पीटीआई, भूगोल के प्रयोगशाला सहायक, लिपिक सहित अशैक्षणिक कर्मचारी एवं कोई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी नहीं हैं।
ऐसे चल रहा हैं महाविद्यालय
महाविद्यालय जब से शुरू हुआ है तब से कोई बजट नहीं मिला। नोडल कॉलेज सागवाड़ा व कुछ भामाशाहों के सहयोग से मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने का प्रयास किया जारहा है। चीखली ब्लॉक के प्रधान, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच सहित क्षेत्र के भामाशाहों का सहयोग लेकर कॉलेज का कार्य चलाया जा रहा है।
इनका कहना......
वर्तमान में मूलभुत सुविधाओं को लेकर क्षेत्र से भामाशाहों से आग्रह किया जा रहा है और सबका जनसहयोग लगातार मिल रहा है। अब तक कोई बजट नहीं मिलने से परेशानियां तो हो रही है। दूसरी और पद रिक्त होने से भी अध्ययन को लेकर दिक्कत है जिससे अवगत करा रखा है। उपेन्द्र सिंह, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय चीखली

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