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शनिवार, 8 अप्रैल 2023

गुरु अब भी शिक्षक , शिष्य बने प्रधानाचार्य



 गुरु अब भी शिक्षक , शिष्य बने प्रधानाचार्य

सीकर. गुरु के गुड़ रहने व चेले के शक्कर बननेे की कहावत को चरितार्थ करती ये दो ही नहीं, बल्कि सेकड़ों बानगियां है। जो शिक्षा विभाग की राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण अधिनियम 2010 की विसंगति की वजह से समायोजित शिक्षकों को साल रही है। उनके स्वाभिमान को भी ठेस पहुंचा रही है। मामले में समायोजित शिक्षकों ने अब सरकार से सेवा नियमों में संशोधन कर पदोन्नति की मांग की है।


ओपीएस व ग्रेच्युटी भी समस्या

सेवा नियमों की वजह से हजारों समायोजित शिक्षक पुरानी पेंशन योजना के लाभ से भी वंचित हैं। क्योंकि सरकार समायोजित कर्मचारियों के अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के सेवा काल की गणना नहीं कर रही है। वहीं, ओपीएस के लिए कम से कम दस साल की सरकारी सेवा की अनिवार्यता है। ऐसे में जो समायोजित शिक्षक व कर्मचारी 2021 से पहले सेवा निवृत हो गए, उन्हें ओपीएस का लाभ नहीं मिल पा रहा। इस संबंध में शिक्षकों का कोर्ट में परिवाद भी दायर है। सैंकड़ों समायोजित कर्मचारियों के लिए अनुदानित स्कूलों से अब तक ग्रच्युटी नहीं मिलना भी परेशानी का सबब बना हुआ है।


सरकार उठाए कदम

समायोजित शिक्षकों को वेतन वृद्धि का तो लाभ मिल रहा है, लेकिन पदोन्नति का लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में नई भर्ती से नियुक्त होने वाले जूनियर कर्मचारियों का आंखों के सामने पदोन्नति पाकर सीनियर होना समायोति शिक्षकों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचा रहा है। सरकार को सेवा नियमों में संशोधन कर समायोजित शिक्षकों को भी पदोन्नति का लाभ देना चाहिए।-फतेहकरण, जिलाध्यक्ष राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ।


यूं समझें मामला

राज्य सरकार ने 2011 में अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के 11 हजार से ज्यादा कर्मचारियों का सरकारी सेवा में समायोजन किया था। इसके लिए राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण अधिनियम 2010 बनाया गया था। जिसमें ये प्रावधान किया गया कि किसी भी समायोजित कर्मचारी की भविष्य में कोई पदोन्नति नहीं की जाएगी। ऐसे में 2011 में समायोजित शिक्षक सरकारी स्कूलों में जिस पद पर नियुक्त हुए, अब भी उसी पद पर कार्य करने को मजबूर हैं। जबकि उनके पढ़ाए हुए विद्यार्थी उनके बाद सरकार सेवा में जूनियर पदों पर नियुक्त होकर भी पदोन्नति पाकर उनसे सीनियर हो गए। ऐसे में विसंगति पैदा करने वाला ये नियम समायोजित शिक्षकों के स्वाभिमान पर आंच पहुंचा रहा है।


रघु निर्मल राउमावि फागलवा सरकारी स्कूल में व्याख्याता हैं। इनसे पढ़ा विद्यार्थी सुनील कुमार उनके बाद 2015 में व्याख्याता पद पर लगा। लेकिन, 2023 में वह उप प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत हो गया। जबकि रघु उसी पद पर हैं। फतेहकरण राउमावि भुवाला में द्वितीय श्रेणी शिक्षक हैं। उनका विद्यार्थी रतन सिंह 2013-14 में व्याख्याता पद पर नियुक्त होकर पदोन्नति से प्रधानाचार्य हो गया, लेकिन फतेहकरण अब भी उसी पद पर है।


गुरु अब भी शिक्षक , शिष्य बने प्रधानाचार्य Rating: 4.5 Diposkan Oleh: UP BASIC NEWS

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