किताबों में कर रहे बदलाव, स्कूलों ने बनाया कमाई का जरिया
जयपुर . अप्रेल में स्कूलों का नया सत्र शुरू होने के साथ ही अभिभावकों की टेंशन भी बढ़ रही है। फीस के अतिरिक्त महंगी किताबों से अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है। स्कूलों की ओर से किताबों में आंशिक बदलाव की बात कहकर अभिभावकों को नई किताबें खरीदने की सूचना भेजी जा रही है। इसके लिए स्कूल परिसर में ही किताबों के काउंटर बना लिए हैं। स्कूल से ही किताब खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। किताबें इतनी महंगी है कि अभिभावकों की जेब पर 10 हजार रुपए तक का भार आ रहा है।
स्कूलों का पक्ष
नई शिक्षा नीति के आधार पर ही किताबों में आंशिक बदलाव किया जाता है। लेकिन पैटर्न वहीं होता है जो एनसीईआरटी की ओर से लागू किया जाता है। हेमलता शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष स्कूल क्रान्ति संघ
ऐसे समझों गणित
- 50 से अधिक बड़े स्कूल हैं जयपुर शहर में सीबीएसई के।
- 7 से 10 हजार रुपए तक किताब का सेट हो रहा है।
- 20 हजार तक भार पड़ रहा है दो बच्चे होने पर।
- 8वीं तक कक्षाओं की पुस्तकों को अपने हिसाब से लागू करते स्कूल।
अभिभावकों का पक्ष
स्कूलों ने किताबों को कमाई का जरिया बना दिया है। अभिभावक हर साल नई किताब खरीदने को मजबूर होते हैं। अरविंद अग्रवाल, प्रदेशाध्यक्ष संयुक्त अभिभावक संघ
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