पाठशाला क्रमोन्नत, व्याख्याता वास्ते पढ़ेसरी अब भी प्रतीक्षारत
वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता की तीन सत्र से डीपीसी नहीं होने व क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति नहीं होने से बिगड़ी गत
हनुमानगढ़. राज्य सरकार ने पाठशालाएं तो क्रमोन्नत कर दी। मगर प्रदेश के सैकड़ों स्कूलों के हजारों पढ़ेसरी अब भी व्याख्याताओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मतलब क्रमोन्नति के बावजूद शिक्षण व्यवस्था की अपेक्षाकृत उन्नति नहीं हो सकी है। विडम्बना यह है कि एक ओर तो व्याख्याताओं की विद्यार्थी प्रतीक्षा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हजारों व्याख्याता नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
दरअसल, प्रदेश में तकरीबन 15 हजार वरिष्ठ अध्यापक तीन बरस से व्याख्याता पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याताओं की आवश्यकता के बावजूद यह स्थिति चिंतनीय है। ऐसे में जरूरी है कि नए शिक्षा सत्र में क्रमोन्नत विद्यालयों को व्याख्याता मिल जाए ताकि संस्था प्रधानों को नामांकन बढ़ाने में जोर नहीं आए तथा परीक्षा परिणाम भी बेहतर आ सके।
बिगड़ती जा रही स्थिति
जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता की पिछले तीन सत्र से डीपीसी बकाया चल रही है। समय पर डीपीसी नहीं होने तथा क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने के कारण रिक्त पदों से विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। शिक्षा विभाग में विभिन्न संवर्गों के प्रति वर्ष रिक्त होने वाले पदों के 50 फीसदी सीधी भर्ती एवं 50 फीसदी विभागीय पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद माध्यमिक शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता की विभागीय पदोन्नति पिछले तीन सत्र से बकाया है।
क्रमोन्नत को स्वीकृति का इंतजार
पिछले वर्ष मार्च में माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में 3800 विद्यालय क्रमोन्नत किए गए थे। इन विद्यालयों में एक साल बाद भी व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं हुई है। इसी तरह उप्रा से उमा में क्रमोन्नत एक हजार विद्यालयों सहित क्रमोन्नत कुल 5000 उमावि में प्रति विद्यालय तीन व्याख्याता के हिसाब से 15 हजार व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं हुई है। अगर अप्रेल व मई में भी वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता की डीपीसी नहीं होती है तो नए शिक्षा में सत्र में विद्यालय खुलने पर व्याख्याताओं की कमी रहेगी। इससे सरकारी विद्यालयों की साख प्रभावित होगी तथा विद्यार्थियों को पढ़ाई का नुकसान होगा।
शीघ्र की जाए डीपीसी प्रक्रिया
वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता की तीन सत्रों से बकाया चल रही विभागीय डीपीसी प्रक्रिया शीघ्र की जाए ताकि व्याख्याता के रिक्त पदों को भरा जा सके। क्रमोन्नत 5000 विद्यालयों में भी व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी कर 50 फीसदी पदों को विभागीय पदोन्नति से भरा जाए। इससे नए सत्र में विद्यालय खुलने पर विद्यार्थियों को लाभ होगा तथा नामांकन बढ़ाने व परीक्षा परिणाम सुधार में मदद मिल सकेगी।-बसंत कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा।
हाल ही करीब दस हजार व्याख्याताओं को उप प्राचार्य पद पर पदोन्नति दी गई। इसके कारण व्याख्याताओं के रिक्त पदों की संख्या बढ़ गई है। हर साल एक अप्रेल के आधार पर विभागीय डीपीसी की जाती है। मगर शिक्षा सत्र 2021-22, 2022-23 व 2023-24 की डीपीसी बकाया होने से करीब 15 हजार वरिष्ठ अध्यापकों की व्याख्याता पदों पर पदोन्नति नहीं हो सकी है।
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