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शुक्रवार, 9 जून 2023

वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति की मांग, तदर्थ पदोन्नति का विरोध ,आगामी सत्र में दस हजार उप प्रधानाचार्य अपने पदस्थापन के इंतजार में

 

वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति की मांग, तदर्थ पदोन्नति का विरोध, आगामी सत्र में दस हजार उप प्रधानाचार्य अपने पदस्थापन के इंतजार में

बांसवाड़ा. राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने राज्य सरकार से द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति जल्द करने की मांग करने के साथ ही तदर्थ पदोन्नति के प्रस्ताव का विरोध किया है।जिलाध्यक्ष दिनेश मईड़ा ने बताया कि रिक्त पद माध्यमिक शिक्षा विभाग की ज्वलंत समस्या है। यह आने वाले सत्र 2023-24 में और भी गंभीर रूप ले सकती है। आगामी सत्र में दस हजार उप प्रधानाचार्य अपने पदस्थापन के इंत जार में हैं। वहीं प्रदेश भर में सात हजार प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं। यदि आगामी सत्र में यह सभी पदोन्नति हो जाती है तो माध्यमिक शिक्षा विभाग में 17 हजार व्याख्याताओं के पद रिक्त हो जाएंगे। पूर्व में खाली पदों के साथ यह संख्या लगभग 30 हजार तक पहुंच जाएगी। वर्तमान में आरपीएससी से व्याख्याताओं की भर्ती प्रक्रिया में नियुक्ति में 3 से 4 माह का समय लग सकता है। ऐसी परिस्थिति में 3 वर्ष से लंबित द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की समय रहते पदोन्नति हो जाती है तो विभाग को इस स्थिति का सामना नही करना पड़ेगा। ।ध्यान रहे कि


नहीं हो तदर्थ पदोन्नति

जिला मंत्री राजेन्द्र प्रसाद सेवक और प्रवक्ता जनक भट्ट ने बताया कि पिछले कई वर्षों से तदर्थ पदोन्नति करो और भूल जाओ के सिद्धांत पर शिक्षा विभाग में की गई है। जिसका खामियाजा शिक्षक आज भी भुगत रहे है। वीरेंद्र त्रिवेदी को द्वितीय श्रेणी शिक्षक से भौतिक विज्ञान का व्याख्याता 1998 में बना दिया, पर डीपीसी वर्ष 2011-12 दिया गया। आर्थिक परिलाभ नियुक्ति तिथि से दिए गए, पर डीपीसी वर्ष 13 साल पीछे धकेल दिया। जिसका परिणाम यह रहा कि उनके जूनियर प्रिंसिपल बन गए और वह लंबे समय तक वंचित रहे। तदर्थ पदोन्नति की व्यवस्था का विरोध कर सरकार से मांग की कि कर्मचारियों की उनकी नियुक्ति तिथि से ही वरिष्ठता का लाभ दिया जाए। यदि उस सत्र में वह पद नही है तो छायापद सृजित कर शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता का लाभ दिया जाए।


व्याख्याताओं की पदोन्नति और सीधी भर्ती में स्नातक के विषयों में समानता के नियम को लेकर द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की नियमित पदोन्नति खटाई में पड़ गई है। भर्ती नियम और पदोन्नति नियम में एकरूपता लाकर इस समस्या का समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि जब पदोन्नति में अनुभव को लेकर शिथिलन दिया जा सकता है तो द्वितीय श्रेणी पदोन्नति में भी किया जा सकता है। द्वितीय श्रेणी की पदोन्नति के बाद तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में पदोन्नति कर तृतीय श्रेणी अध्यापक के बड़ी मात्रा में पद रिक्त हो जाएंगे जिससे तृतीय श्रेणी अध्यापक की नियुक्ति से लेकर स्थानांतरण तक का रास्ता साफ हो सकता है।

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