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बुधवार, 13 सितंबर 2023

बाहरी राज्य में दाखिला मुश्किल, यहां नौकरी में भी कोटा तय नहीं

 

बाहरी राज्य में दाखिला मुश्किल, यहां नौकरी में भी कोटा तय नहीं

सीकर. सरकारी नौकरियों से लेकर प्रवेश का दावा करने वाली राज्य सरकार साढ़े चार साल में भी बाहरी अभ्यर्थियों का कोटा तय नहीं कर सकी है। इस वजह से हर भर्ती में प्रदेश के बेरोजगारों के नौकरी के सपने टूट रहे हैं। पिछले दिनों उत्तराखंड सरकार ने तो ओपन विवि में बीएड के पाठ्यक्रम में भी दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कोटा तय कर दिया है। दूसरी तरफ राज्य सरकार चिकित्सा व शिक्षा सहित अन्य विभागों की भर्तियों में कोटा तय नहीं कर सकी है। पिछले विधानसभा चुनाव के समय भाजपा व कांग्रेस में इस मुद्दे को लेकर जमकर सियासत हुई थी। इस दौरान कांग्रेस ने सत्ता में आने पर बाहरी अभ्यर्थियों का कोटा तय करने का ऐलान किया था। इसके बाद साढ़े चार साल बाद भी प्रदेश के बेरोजगारों को राहत नहीं मिल सकी है। इस वजह से बेरोजगारों में लगातार आक्रोश भी बढ़ रहा है।


केस तीन


चिकित्सा विभाग की भर्तियों के कट ऑफ में उछाल

चिकित्सा विभाग की ओर से नर्सिंग ऑफिसर से लेकर फार्मासिस्ट, रेडियोग्राफर सहित अन्य सात पदों पर भर्ती सीफू की ओर से कराई जा रही है। इनमें से कई श्रेणी की भर्तियों में दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों ने बंपर आवेदन लगा दिए। ऐसे में कई भर्तियों के डेढ़ गुणा की कट ऑफ में काफी उछाल आया है। हालांकि सीफू ने बाहरी राज्य के अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच कराने का आश्वासन दिया है।


केस चार


शिक्षक भर्तियों में नहीं बढ़ाया राजस्थान का सिलेबस

प्रदेश में पिछले डेढ़ साल में प्रथम श्रेणी, वरिष्ठ अध्यापक व तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती हुई है। सरकार की ओर से प्रदेश क युवाओं को फायदा देने के लिए राजस्थान के टॉपिक बढ़ाने का वादा किया था। इसके बाद भी ज्यादा टॉपिक नहीं जुड़ने की वजह से फायदा नहीं हुआ।


केस एक


कम्प्यूटर शिक्षक भर्ती में बाहरी मार ले गए बाजी

प्रदेश में पहली बार हुई कम्प्यूटर शिक्षक भर्ती में भी दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी बाजी मारने में सफल हो गए। बेरोजगारों की ओर से इस भर्ती से पहले बाहरी राज्य के अभ्यर्थियों का कोटा तय करने की मांग को लेकर जमकर आंदोलन किए गए। इसके बाद भी सरकार कानून नहीं बना सकी तो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के सैकड़ों बेरोजगारों को नौकरी की खुशियां मिल गई।


केस दो


पीटीआई व अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की भर्ती

प्रदेश में सबसे ज्यादा पीटीआई के रिक्त पदों पर भर्ती पिछले दो सालों में हुई। इस भर्ती में भी बेरोजगारों के हाथ ज्यादा मौके लगे। वहीं अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की भर्ती के नियमों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई की शर्त शामिल करने की वजह से राजस्थान के बेरोजगार आऊट हो गए।


एक्सपर्ट व्यू....

सरकार को भर्तियों में बाहरी बेरोजगारों का कोटा तय करना चाहिए। इससे यहां के बेरोजगारों को काफी फायदा मिलेगा। चिकित्सा विभाग से लेकर स्वास्थ्य विभाग की भर्तियों में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों की सबसे ज्यादा सामने आई है। मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों की पॉलिसी का सरकार का विशेषज्ञों के जरिए अध्ययन कराना चाहिए जिससे बेरोजगारों को कुछ राहत मिल सके।-विकास कुमार, एक्सपर्ट, सीकर


कई राज्यों में पांच फीसदी का कोटा तय

देश के कई राज्यों की ओर से पांच फीसदी आरक्षण तय कर रखा है। इसके लिए सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार की ओर से पहल की गई। हालांकि यहां अभी तक फायदा मिलना बेरोजगारों को शुरू नहीं हुआ है। वहीं पंजाब सहित अन्य राज्यों में स्थानीय भाषा के टॉपिक ज्यादा दिए जाते है इससे स्थानीय अभ्यर्थियों को फायदा मिलता है। लेकिन राजस्थान में अभी ऐसा कुछ प्रावधान नहीं है। पिछले साल हरियाणा सरकार ने 15 साल से निवासरत स्थानीय अभ्यर्थियों को नौकरियों को प्राथमिकता देने की घोषणा की थी। इसके अलावा पिछले दिनों बिहार सरकार ने भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए है।


विधानसभा में गूंजा मामला, विपक्ष भी दे चुका समर्थन

प्रतियोगी परीक्षाओं में बाहारी अभ्यर्थियों की सीमा तय करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में पिछले साल इसी महीने में कार्मिक विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक हुई थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जल्द इस मामले में रिपोर्ट बनाने के आदेश दिए थे। लेकिन एक साल बाद भी कुछ नहीं हुआ। इस मुद्दे का भाजपा ने भी समर्थन किया था। वहीं विधानसभा में भी यह मुद्दा कई बार गूंज चुका है।


अब उत्तराखंड विवि की पहल चर्चा में

उत्तराखंड मुक्त विवि का फैसला इन दिनों युवाओं में सबसे ज्यादा चर्चा है। दरअसल, दूरस्थ शिक्षा से बीएड के लिए विवि की के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें राजस्थान के सात हजार से अधिक युवाओं ने आवेदन कर दिया। इस दौरान विवि की 37 वीं साधारण सभा की बैठक में बाहरी राज्य के अभ्यर्थियों का कोटा महज एक फीसदी करने का फैसला लिया गया।

बाहरी राज्य में दाखिला मुश्किल, यहां नौकरी में भी कोटा तय नहीं Rating: 4.5 Diposkan Oleh: UP BASIC NEWS

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