सरकारी स्कूलों में अब तक नहीं पहुंची स्कूली ड्रेस, किताबों का भी टोटा
नागौर. नया सत्र शुरू हुए करीब ढाई महीने हो गए पर सरकारी स्कूल में सरकार की ओर से ड्रेस का कपड़ा अब तक नहीं पहुंचा है। और तो और नि:शुल्क किताबें भी हर बच्चे को नहीं मिल पाई है। जुलाई में वितरित होने वाली वर्क-बुक का तो आना ही अब प्रारंभ हुआ है। ऐसे में सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम की कलई खुल रही है। सूत्रों के अनुसार नागौर के साथ डीडवाना-कुचामन जिले में करीब तीन हजार 29 सरकारी स्कूल हैं। फिलहाल करीब तीन लाख साठ हजार बच्चे इनमें पढ़ाई कर रहे हैं।
प्रवेशोत्सव का असर फीका रहा तो पहली कक्षा में प्रवेश करने वाले करीब सोलह हजार बच्चे तो अभी नई ड्रेस से दूर हैं। पिछले साल से हर स्कूली बच्चे को नई ड्रेस का कपड़ा और सिलाई की राशि नि:शुल्क भेजा जाना तय हुआ था। पिछले साल ही ड्रेस का कपड़ा आते-आते अक्टूबर - नवंबर हो गया था। इस बार भी कमोबेश यही आलम दिखाई दे रहा है। ऐसे में कई सरकारी स्कूल में आ रहे पहली ही नहीं अन्य कक्षा में नए प्रवेश लेने वाले बच्चे स्कूली ड्रेस के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई स्कूलों में तो ये बच्चे स्कूली ड्रेस के बिना अन्य ड्रेस में ही पढ़ाई कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि जिले में स्कूली बच्चों के लिए आने वाला कपड़ा पहले ब्लॉक मुख्यालय पर उतरेगा और फिर स्कूलों में सप्लाई होगा। सिलाई की राशि बच्चों के खाते में डाली जाएगी। बार-बार मुख्यालय में पत्राचार के बाद भी अभी ड्रेस देने के आसार दिख नहीं रहे। इस बार चुनाव का शोर भी नवंबर-दिसंबर को रहना है, साथ ही शिक्षकों के ही नहीं अन्य कर्र्मचारियों के इस चुनावी कार्य में व्यस्त रहने की वजह से यह ड्रेस बच्चों तक सितंबर तक ही पहुंचनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ना ही इसके जल्द आने के आसार दिख रहे हैं।
यहां भी पूरी नहीं पहुंची पुस्तकें
बताया जाता है कि सरकारी स्कूल में पहली से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को मुफ्त दी जाने वाली पुस्तकों की भी काफी किल्लत है। जितनी डिमाण्ड थी, उसके अनुरूप किताबें आई नहीं। वैसे बता दें कि सरकारी स्कूलों में आधी किताबें पुरानी दी जाती हैं तो आधी नई। मुश्किल यह है कि अधिकांश बच्चों की पुस्तकें फट चुकी होती है। असल में कई विषय की पुस्तकें विद्यार्थियों को अब तक नहीं मिल पाई है। वे इधर-उधर से मांग-तांग कर अपना काम चला रहे हैं।
इनका कहना
अब तक स्कूली विद्यार्थियों के लिए ड्रेस का ना तो कपड़ा आया है ना ही इस बारे में कोई सरकारी सूचना। किताबें तो अधिकांश विद्यार्थियों के पास है, कुछ विषय की किताबों की कमी को शीघ्र दूर किया जाएगा।-राम निवास जांगिड़, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) नागौर
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चों के लिए किताब का टोटा
सूत्र बताते हैं कि जिलेभर में करीब दो सौ महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) के स्कूली बच्चों के समक्ष भी किताबों का संकट है। ना किताबें बाजार में मिल रही है ना ही नि:शुल्क किताबें अभी स्कूलों तक पहुंच पाई है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

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